पाकिस्तान और चीन दोनों ही आयरन ब्रदर होने का दावा करते हैं लेकिन अब दोनों की दोस्ती पर संकट मंडरा रहा है। कंगाल हो पाकिस्तान अब चीन के लिए मुसीबत बन गया है। पाकिस्तान में चीन की बिजली कंपनियों ने अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है लेकिन अब उसका पैसा नहीं लौट रहा है।
चीन सरकार की कई चेतावनी के बाद भी पाकिस्तान की सरकार ने जब पैसा नहीं लौटाया तो कई चीनी कंपनियों ने इस्लामाबाद से बोरिया बिस्तर समेट लिया है। यह धनराशि करीब 493 अरब पाकिस्तानी रुपये बताई जा रही है। यह खुद पाकिस्तान की सरकार ने कबूल किया है कि पावर सेक्टर की चीनी कंपनियों ने जनवरी 2024 में अपने निवेश में से 17 करोड़ डॉलर को निकाल लिया है। यह पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बन गया है।
पाकिस्तान में सीपीईसी की परियोजना के तहत चीन ने करीब 62 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है और इसे वह और ज्यादा बढ़ा रहा है। पाकिस्तानी पत्रकार कामरान युसूफ कहते हैं कि पाकिस्तान में जहां चीन जमकर पैसा खर्च कर रहा है, वहीं पाकिस्तान को जो पैसा लौटाना था, वह नहीं लौटाया। पाकिस्तान पर अब चीन की बिजली कंपनियों का करीब 493 अरब पाकिस्तानी रुपये का कर्ज बकाया है।
पाकिस्तान में चीनी बिजली कंपनियों ने कारखाने लगाए थे और इसके बाद में इस्लामाबाद की सरकार को पैसा वापस देना था। पाकिस्तान अपनी जनता से बिजली का पैसा ही नहीं वसूल कर पा रहा है। उन्होंने बताया कि चीन और पाकिस्तान में सहमति बनी थी कि जो पैसा जनता से नहीं मिल पा रहा है, वह पाकिस्तान की सरकार चीन को लौटाएगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
चीन के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान लगाई थी झाड़
इस मुद्दे को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुद पाकिस्तानी सरकार से कड़ाई से यह मुद्दा उठाया था लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद अब चीन की बिजली कंपनियों ने पाकिस्तान से निकल जाना ही उचित समझा। कामरान ने कहा कि अब पाकिस्तान में नई सरकार आ गई है और उसे चीन को मनाना सबसे जरूरी होगा।
शहबाज सरकार के लिए कड़े फैसले लेना भी काफी मुश्किल होगा। अमेरिका के मैरी यूनिवर्सिटी के एड डाटा की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान पर चीन का कुल कर्ज साल 2000 से 2021 के बीच 67 अरब डॉलर था। यह पहले बताए गए आंकड़े से 21 अरब ज्यादा है।
चीन ने पाकिस्तान के ऊर्जा सेक्टर में सबसे ज्यादा निवेश कर रखा है। पाकिस्तान और चीन के बीच चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा प्रॉजेक्ट पिछले 10 साल से चल रहा है। इस परियोजना ने पाकिस्तान को जरूरी बुनियादी ढांचा विकसित करने में मदद की है।
वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि अपर्याप्त ऋण और कुप्रबंधन के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर परियोजना का प्रभाव सीमित रहा है। चीन की बीआरआई योजना के तहत सबसे बड़ी साझेदारी मानी जाने वाली CPEC को 2013 में 45 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश के साथ लॉन्च किया गया था।
कुल निवेश बढ़कर 62 बिलियन अरब डॉलर से अधिक हो गया है। चीन ने आतंकवाद और उथल-पुथल के समय पाकिस्तान पर भरोसा दिखाया और राष्ट्रीय ग्रिड में 8,000 मेगावाट बिजली जोड़ी है लेकिन वही पाकिस्तान अब कर्ज नहीं चुका रहा है।
-एजेंसी
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