साइबर फ्रॉड में ओटीपी-लिंक की शिकायतों से साइबर क्राइम सेल भरे पड़े हैं. इसके एक नहीं, अनेक रूप हैं. सबसे ज्यादा पॉपुलर रूप है डोर टू डोर डिलीवरी सिस्टम. जब आप खाने-पीने का कोई भी सामान मंगवाते हैं तो अक्सर सामान लेकर आने वाला आप से ओटीपी मांगता है की आप ओटीपी दे भी देते हैं. यहांं तक गलत कुछ नहीं है. असल गड़बड़ी तब होती है, जब आप बिना यह जाने दे देते हैं कि यह ओटीपी असल में कहां से आई है? क्या उसी कंपनी ने भेजा है या किसी और ने?
अगर आपके पास किसी और कंपनी का ओटीपी आया है और उसे देकर आपने डिलीवरी ले ली है तो अगले कुछ ही देर में आपका खाता साफ हो जाएगा. एसएमएस आने पर ही आपको ठगी का पता चलेगा. जब तक आप कुछ करेंगे, तब तक ठग अपना काम कर चुके होंगे, फिर हाथ मसलने के सिवा आपके पास कोई चारा नहीं रहेगा.जब भी आपसे कोई ओटीपी मांगे तो यह जरूर देखें कि उसी कंपनी से आया हो. अगर कहीं और से आई ओटीपी की मांग डिलीवरी बॉय करता है तो सतर्क होने की बारी है.
आप उसे बैठा सकते हैं. पुलिस को इन्फॉर्म कर सकते हैं. उस कंपनी को भी फोन कर सकते हैं जहाँ से आपने खाना या कोई भी चीज ऑर्डर कर रखा है. हां, इस क्रिया के दौरान सतर्क भी रहना है. अपने को घिरा हुआ पाकर वह हमलावर हो सकता है. धक्का देकर भागने की कोशिश कर सकता है. कोई भी पंगा न करना हो तो आप पैकेट वापस करने का विकल्प चुन सकते हैं लेकिन फर्जी कंपनी से आई ओटीपी नहीं देना है. ऐसा करने पर आपका अधिकतम नुकसान चार-छह सौ रुपये के खाने का हो सकता है लेकिन बैंक एकाउंट खाली होने से बच जाएगा. पैकेट वापस करने के बाद आप उस कंपनी को इन्फॉर्म करके दूसरा पैकेट मंगवा सकते हैं. फिर कार्रवाई की जिम्मेदारी उस कंपनी की हो जाएगी.
ओटीपी में चूक से खाली हो सकता है खाता
ओटीपी में जरा सी चूक किसी का भी बैंक खाता खाली कर सकती है. चूंकि आजकल ऑनलाइन मामलों में ज्यादातर ओटीपी इस्तेमाल होता है, इसलिए ठगों ने इसे ही अपना हथियार बना लिया है. आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि भला ओटीपी फ्रॉड कंपनी ने आपके नंबर पर ही क्यों भेजी तो स्पष्ट जान लीजिए कि आजकल फोन नंबर पैसे पर उपलब्ध हैं. किसी भी खरीदारी में बोनस और अन्य प्रॉफ़िट देने के नाम पर कंपनियां आपका नंबर लेती हैं. वहां से ये नंबर कहां-कहां जाते हैं, आपको नहीं पता. ऑनलाइन के इस दौर में आप प्रायः मना कर नहीं सकते और ठग आपके नंबर आसानी से पा जाते हैं.
यूआरएल से भी हो रही ठगी
ओटीपी के अलावा एसएमएस पर ही ठगी का एक स्वरूप यूआरएल है. कोई बिजनेस ऑफर, लॉटरी निकलने आदि के संदेश आम हैं. अगर आपने लिंक को क्लिक कर दिया तो लुटना तय है. ऐसे लिंक को बिना खोले डिलीट कर देना सर्वाधिक सुरक्षित है.
साइबर सेल में लंबे समय से कार्यरत एक अफसर ने कहा कि अगर कोई कर सकता है तो उसे जरूर करना चाहिए कि अनजान नंबर से आए एसएमएस, व्हाट्सएप बिना खोले डिलीट कर दे. अनजान नंबर से आने वाली काल न ले. ठगी की आशंका 99 फीसदी कम हो जाती है. लुटेरे तो बाजार में अलग-अलग तरीके से लूटने को सक्रिय ही हैं.
– एजेंसी