विपक्ष हमेशा ही मेरी आलोचना करेगा, ये कोई नई बात नहीं: किरेन रिजिजू

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”अर्थ साइंस को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी का एक विज़न है. इसी के तहत मुझे इस मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है.”

रिजिजू कॉलेजियम समेत कई मुद्दों पर न्यायपालिका के ख़िलाफ बयान देकर चर्चा में रहे हैं. बीते साल किरेन रिजिजू ने जजों की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को ही ‘संविधान से परे’ बताया था.

उन्होंने कहा था, “मैं न्यायपालिका या न्यायाधीशों की आलोचना नहीं कर रहा हूँ. मैं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की मौजूदा प्रणाली से ख़ुश नहीं हूँ. कोई भी प्रणाली सही नहीं है. हमें हमेशा एक बेहतर प्रणाली की दिशा में प्रयास करना और काम करना है.”

उनका कहना था कि व्यवस्था को जवाबदेह होना चाहिए और अगर ये सिस्टम पारदर्शी नहीं है, तो इसके बारे में क़ानून मंत्री नहीं बोलेगा तो कौन बोलेगा.

इसी साल 27 अप्रैल को समलैंगिक शादी को लेकर कोर्ट में चल रही सुनवाई पर उन्होंने कहा, “शादी जैसे मामलों को निपटाने के लिए अदालतें मंच नहीं हो सकतीं.”

एक टीवी कार्यक्रम में शामिल हुए रिजिजू ने कहा, “शादी जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर फ़ैसला देश के लोगों को करना है क्योंकि इस तरह के फ़ैसलों से सभी प्रभावित होते हैं. ये लोगों की इच्छा पर निर्भर करता है और उनकी इच्छा संसद या विधानसभा में दिखती है.”

केंद्र सरकार समलैंगिक शादी को इजाज़त देने के विचार के ख़िलाफ रही है. केंद्र सरकार ने कोर्ट से गुज़ारिश की थी कि ये मामला संसद पर छोड़ दिया जाए.

कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि शायद रिजिजू को न्यायपालिका के साथ टकराव की वजह से ही कानून मंत्रालय से हटाया गया.

Compiled: up18 News


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