हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने लड़कियों के वकील से कहा, ये कैसी दलील दे रहे है?

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अहमदी ने कहा कि लड़कियां मदरसा छोड़कर स्कूल में पढ़ने आई थीं, लेकिन अगर आप हिजाब बैन कर देंगे तो फिर मजबूर होकर मदरसा चली जाएंगी। इस पर जस्टिस धुलिया ने कहा है कि ये कैसी दलील है?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट में गुरुवार तक याचिकाकर्ता के पक्ष को सुना जाएगा। इसके बाद 2 दिन पक्ष रखने के लिए सरकार को दिया जाएगा।

याचिकाकर्ता की ओर से अब तक देवदत्त कामत, सलमान खुर्शीद, युसुफ मुचाला और आदित्य स्नोधी पक्ष रख चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ…

एडवोकेट अहमदी- सभी धर्मों में कंजर्वेटिव लोग हैं। लड़कियां मदरसा छोड़ स्कूल आईं। आप उसे मजबूरन मदरसा भेजना चाहते हैं।

जस्टिस धुलिया- क्या आपका यह तर्क है कि लड़कियां हिजाब नहीं पहनना चाहती हैं और उन्हें मजबूर किया जाता है?

एडवोकेट अहमदी- नहीं, हिजाब बैन होने के बाद माता-पिता कह सकते हैं, स्कूल मत जाओ। मदरसे में जाओ। एक रिपोर्ट भी आई है।

जस्टिस गुप्ता- कितने स्टूडेंट्स हिजाब बैन के बाद स्कूल में अब्सेंट रहे?

एडवोकेट अहमदी- कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद करीब 17 हजार छात्राओं ने एग्जाम नहीं दिए।

राजीव धवन- इस्लाम के रूप में जो कुछ भी आता है उसे खारिज करने के लिए बहुसंख्यक समुदाय में बहुत असंतोष है। काऊ लीचिंग भी एक उदाहरण है।

जस्टिस गुप्ता- आप सब्जेक्ट से भटक रहे हैं। तथ्यों पर बात करिए। यहां मामला हिजाब बैन का है।

हाईकोर्ट फैसले के खिलाफ दाखिल है याचिका

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मार्च में याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट में अब तक की दलीलों में याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि केस बड़ी बेंच में भेजा जाए, क्योंकि ये व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता का मामला है। मार्च में कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है।

हिजाब विवाद पर कर्नाटक में हुआ था बवाल

कर्नाटक के उडुपी शहर में जनवरी के शुरुआती हफ्ते में विवाद शुरू हुआ था, जिसकी आग पूरे कर्नाटक में धीरे-धीरे फैल गई। फरवरी में कई जगहों पर इसको लेकर 2 पक्षों के बीच संघर्ष हिंसक संघर्ष शुरू हो गया था। प्रशासन को इस पर काबू पाने के लिए राज्य के कई जिलों में धारा 144 लागू करना पड़ा था।

-एजेंसी


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