क़ानून मंत्रालय से हटाए जाने के बाद किरेन रिजिजू ने गुरुवार को कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देश में विधि और न्याय मंत्री के रूप में काम करना उनके लिए सम्मान की बात थी और ये उनके लिए एक बड़ा मौका था.”
उन्होंने आगे कहा कि “हमारे नागरिकों को विधिक सेवाएं मुहैया करने और न्याय के प्रशासन को सुनिश्चित करावने में समर्थन देने के लिए मैं भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और जजों, निचली अदालतों और सभी लॉ ऑफिसर्स का शुक्रिया अदा करता हूं.”
अरुणाचल से तीन बार के लोकसभा सांसद किरेन रिजिजू को क़ानून मंत्रालय से हटाकर अर्थ साइंसेज़ मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी दी गई है.
नई राजनीति पर रिजिजू ने कहा कि “मैंने जितने उत्साह से सामान्य बीजेपी कार्यकर्ता के तौर पर काम किया है, उसी उत्साह के साथ मैं अर्थ साइंसेज़ मिनिस्ट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न को पूरा करने के लिए काम करूंगा.”
हालांकि विपक्षी पार्टियों का रुख किरेन रिजिजू पर हमलावर है. कांग्रेस पार्टी ने उन्हें ‘नाकाम लॉ मिनिस्टर’ करार दिया है.
कॉलेजियम सिस्टम के आलोचक रहे रिजिजू के विभाग बदले जाने पर राज्य सभा सांसद और पूर्व क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि क़ानून के पीछे के विज्ञान को समझना आसान नहीं होता है.
शिवसेना के उद्धव बाला साहेब ठाकरे धड़े की नेता राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रिजिजू के मंत्रालय बदले जाने की वजहों पर चर्चा करते हुए पूछा है कि “क्या महाराष्ट्र जजमेंट की वजह से हुई शर्मिंदगी के कारण हुआ है या मोदानी-सेबी जांच से इसका कोई संबंध है?”
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद के इस्तीफ़े के बाद किरेन रिजिजू को सात जुलाई 2021 को क़ानून मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी.
Compiled: up18 News
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