भारत के ‘जेम्सबांड’ के कहे जाने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के ‘मिशन मध्य एशिया’ से पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार टेंशन में आ गई है। यही वजह है कि अब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने लंबे अंतराल के बाद दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क का राग अलापना शुरू कर दिया है। यही नहीं, कश्मीरी आतंकियों को पालने वाले पाकिस्तान ने उल्टा भारत पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप मढ़ दिया है। पाकिस्तान ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने पाकिस्तान के बेहद करीबी मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ पहली बार विशेष बैठक की है।
डोभाल की इस बैठक में कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने हिस्सा लिया। तुर्कमेनिस्तान के राजदूत भी इस बैठक में मौजूद थे। इस बैठक में डोभाल ने कहा कि आतंकवाद के लिए पैसा खून की तरह से है और इसे रोकना प्राथमिकता होना चाहिए। इस दौरान आतंकवाद और अफगानिस्तान के हालात पर विशेष चर्चा हुई जो मध्य एशियाई देशों का पड़ोसी देश है और कई मुद्दों को लेकर दोनों के बीच तनाव है। भारत ने जोर देकर कहा कि क्षेत्रीय कनेक्टविटी को बढ़ाना होगा। भारत अफगानिस्तान और ईरान के चाबहार के रास्ते मध्य एशियाई देशों के साथ अपने व्यापार को बढ़ाने की योजना बना रहा है।
पाकिस्तानी पीएम ने सार्क को जिंदा करने का किया ऐलान
इस बीच तालिबान ने भी ऐलान कर दिया है कि वह भारत को पूरा समर्थन और सुरक्षा देगा। भारत के इस प्लान से पाकिस्तान खुद को अलग-थलग महसूस कर रहा है और उसने सार्क के मुद्दे को उठाने का ऐलान किया है। कश्मीरी आतंकियों को पालने वाले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा ने दावा किया कि उनके पास पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों में भारत के शामिल होने के पक्के सबूत हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस पर ध्यान दें। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को भड़का रहा है।
वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऐलान किया है कि वह सार्क शिखर सम्मेलन के बैठक की प्रक्रिया को फिर से शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की इच्छा है कि सार्क को फिर से जिंदा किया जाए। शहबाज शरीफ ने याद दिलाया कि क्षेत्रीय विकास, कनेक्टविटी और सहयोग में असफल रहने के कारण दक्षिण एशिया के लोगों ने पीड़ा झेली है।
उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान सार्क को फिर से जिंदा करने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।’ पिछले 6 साल से सार्क की कोई बैठक नहीं हुई है। इसकी वजह यह है कि भारत पाकिस्तान में होने वाले शिखर बैठक का विरोध कर रहा है।
आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं, भारत का साफ संदेश
पाकिस्तान को नवंबर 2016 में सार्क शिखर सम्मेलन को आयोजित करना था लेकिन बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान के भारत के साथ आने के कारण यह नहीं हो सका था। सार्क की आखिरी बैठक साल 2014 में हुई थी। भारत ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए साफ कहा है कि अभी सार्क शिखर सम्मेलन के लिए उचित माहौल नहीं है। भारत ने कहा कि जब तक पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को बंद नहीं करता है तब तक उसके साथ कोई बातचीत नहीं हो सकती है।
-Compiled by up18 News
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