चीन के विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार रात भारत पहुंचे। आज सुबह दस बजे वांग यी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार NSA अजीत डोभाल से मिलने पहुंचे। दोनों के बीच ये मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। वांग यी मुलाकात कर यहां से निकल चुके हैं। पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के बीच टेंशन अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।
उम्मीद है कि इस मुलाकात के बाद कोई सार्थक और पूर्णकालिक हल निकल सकता है। डोभाल से फिलहाल वांग यी की बातचीत हो रही है। इस बातचीत के दौरान भारत ने कहा है बॉर्डर क्षेत्र के बचे हुए इलाके में जल्द और पूरी तरह से सेना को हटाए जाने की जरूरत है ताकि द्विपक्षीय संबंध स्वाभाविक रास्ते पर आ सकें। उन्होंने कहा कि शांति की बहाली से आपसी विश्वास बनाने में मदद मिलेगी।
सकारात्मक बातचीत जारी रखने की आवश्यकता
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत ने शांति की बहाली के लिए राजनयिक, सैन्य स्तर पर सकारात्मक बातचीत जारी रखने की आवश्यकता जताई है। अजित डोभाल ने वांग यी से कहा है कि सुनिश्चित किया जाए कि कार्रवाई समान और परस्पर सुरक्षा की भावना का उल्लंघन नहीं करती है। एक ही दिशा में काम करें और बकाया मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाएं।
वांग यी ने अजित डोभाल को चीन आने का निमंत्रण दिया
चीनी पक्ष ने अजित डोभाल से बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए चीन का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया है। न्योते पर डोभाल ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह तत्काल मुद्दों को सफलतापूर्वक हल करने के बाद चीन की यात्रा कर सकते हैं। इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को चीन के अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि उन्होंने चीनी समकक्ष को बता दिया है कि अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति बहाली सामान्य रिश्ते के लिए जरुरी है।
उन्होंने कहा कि इस दौरान दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख विवाद और यूक्रेन संकट से पैदा हुई भू-राजनीतिक उथल-पुथल समेत विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई।
मीडिया को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “मेरी बातचीत चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ अभी समाप्त हुई है। हमने लगभग 3 घंटे तक चर्चा की और खुले और स्पष्ट तरीके से एक व्यापक मूल एजेंडे को संबोधित किया। हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की जो अप्रैल 2020 से चीनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप बाधित हुई।”
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, “चीने के विदेश मंत्री के साथ तीन घंटे की मुलाकात हुई। हमने चीन के विदेश मंत्री को देश की भावना से अवगत करा दिया। अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति बहाली सामान्य रिश्ते के लिए जरुरी है।”
भारत से पहले वांग यी पाकिस्तान और अफगानिस्तान का दौरा भी कर चुके हैं। काबुल जाकर उन्होंने सबको चौंका दिया था। ये उनके प्लान का हिस्सा नहीं था। वांग यी का ये भारत दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर उनके एक बयान को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर से जुड़ा मुद्दा पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है और चीन समेत अन्य देशों को इस पर बयान देकर हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
वांग यी दिल्ली आने से पहले इस्लामाबाद में थे। उन्होंने इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी में कश्मीर को लेकर बयान दिया। भारत ने कड़ा विरोध जताया। कल उनके आने के ही समय भारत ने फिर कहा कि किसी भी देश को भारत के अंदरूनी मामले में बोलने का हक नहीं है। चीन ने पाकिस्तान को खुश करने के लिए इस्लामाबाद में वह बयान दिया होगा? लेकिन भारत ने भी अपना कड़ा पक्ष रखने में जरा भी समय नहीं लगाया। न यह सोचा कि चीनी विदेश मंत्री दिल्ली भी आ रहे हैं। काबुल होते हुए दिल्ली आए चीनी विदेश मंत्री क्षेत्रीय शांति पर भी कुछ कहते हैं कि नहीं, यह देखने की बात है।
जानकार मानते हैं कि लद्दाख में तनाव और लगातार आमने-सामने अपनी सेना रखकर भारत ने चीन को कड़ा संदेश दिया है। भारत द्वारा चीनी कंपनियों और चीनी चीजों पर लगाए गए कई प्रतिबंधों का भी असर हुआ है। यही वजह है कि चीनी विदेश मंत्री को यहां आना पड़ा है।
-एजेंसियां
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