अब शिवलिंग ही नहीं समूचे ज्ञानवापी परिसर की ASI से वैज्ञानिक जांच कराने संबंधी याचिका मंजूर

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सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने छह याचिकाकर्ताओं की तरफ से सर्वे की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि सनातन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोग यह चाहते हैं कि हमारे आराध्य आदि विश्वेश्वर से जुड़ा ज्ञानवापी का सच सामने आए। सबको यह मालूम होना चाहिए कि ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर का मंदिर कब बना था?

कहा कि इसके लिए अब हम लोगों ने अदालत से पूरे विवादित स्थल की कार्बन डेटिंग और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे कराने की मांग की है। अधिवक्ता ने कहा कि अनादि काल से हमारी आस्था के केंद्र रहे हमारे धर्मस्थलों को विदेशी आक्रांताओं ने तलवार के बल पर उजाड़ा था।

ज्ञानवापी प्रकरण में इन सवालों के जवाब मिलने जरूरी

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि देश की जनता को ज्ञानवापी से जुड़े इन सवालों के जवाब मिलने जरूरी हैं। ज्ञानवापी में मिला शिवलिंग कितना प्राचीन है? शिवलिंग स्वयंभू है या कहीं और से लाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई थी? विवादित स्थल की वास्तविकता क्या है? विवादित स्थल के नीचे जमीन में क्या सच दबा हुआ है? मंदिर को ध्वस्त कर उसके ऊपर तीन कथित गुंबद कब बनाए गए? तीनों कथित गुंबद कितने पुराने हैं?

इनकी तरफ से दाखिल हुई याचिका

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता के मुताबिक याचिका राम प्रसाद सिंह, महंत शिव प्रसाद पांडेय, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से दाखिल की जाएगी। चारों महिलाएं पहले से ही ज्ञानवापी के मां श्रृंगार गौरी केस की वादिनी हैं।

Compiled: up18 News


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