सुप्रीम कोर्ट ने NOTA से जुड़ी एक याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका शिव खेड़ा (मोटिवेशनल स्पीकर और You Can Win के लेखक) ने लगाई है। इसमें चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है। पिटीशन के मुताबिक अगर NOTA (नन ऑफ द अबव) की किसी कैंडिडेट से ज्यादा चोट मिलते हैं तो उस सीट पर हुए चुनाव को रद्द कर दिया जाए और नए सिरे से चुनाव कराए जाएं।
CJI डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच शुक्रवार 26 अप्रैल को शिव खेड़ा की याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गई है।
लोकसभा चुनाव 2024 के दो चरणों की वोटिंग के बाद लगी याचिका
सूरत में 22 अप्रैल को BJP कैंडिडेट मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत के संदर्भ में याचिका दायर की गई है। दरअसल, यहां से काग्रेस कैंडिडेट नीलेश कंभाणी का पर्चा रद्द हो गया था। उनके पर्चे में गवाहों के नाम और दस्तखत में गड़बड़ी थी। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस केंडिडेट समेत 10 प्रत्याशी मैदान में थे। 21 अप्रैल को 7 निर्दलीय कैंडिडेट्स ने अपना नामांकन वापस ले लिया। BSP केंडिडेट प्यारे लाल भारती ही बचे थे, जिन्होंने सोमवार 22 अप्रैल को पर्चा वापस ले लिया। इस तरह भाजपा के मुकेस दलाल निर्विरोध चुने गए।
क्या है नन ऑफ द अवय (NOTA)
NOTA एक वोटिंग ऑप्शन है, जिसे वोटिंग सिस्टम में सभी उम्मीदवारों के लिए असहमति दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे भारत में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PLICI) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के फैसले में 2013 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद EVM में जोड़ा गया था। हालांकि, भारत में NOTA राइट टू रिजेक्ट के लिए नहीं दिया गया है।
मौजूदा कानून के मुताबिक NOTA को ज्यादा चोट मिलते हैं तो इसका कोई कानूनी नतीजा नहीं होता। ऐसी स्थिति में अगले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाएगा।
-एजेंसी
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