नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल NGT ने पंजाब सरकार पर 2000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के प्रबंधन न करने के लिए लगाया गया है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में पंजाब सरकार को फटकार भी लगाई है। इससे पहले भी एनजीटी ने पंजाब सरकार पर 50 करोड़ का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना भी पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने को लेकर लगाया गया था।
पंजाब में जितना कचरा हो रहा है, उसका प्रबंधन उससे बहुत कम है। कचरा उत्पादन और उसके प्रबंधन में भारी अंतर के चलते एनजीटी ने सरकार से इसके उपाय करने को कहा था। एनजीटी के निर्देश के बाद भी सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
एनजीटी ने लगाई फटकार
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सुधारात्मक कार्रवाई अनिश्चित काल तक इंतजार नहीं कर सकती और स्वास्थ्य मुद्दों को लंबे समय तक टाला जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘राज्य की जिम्मेदारी है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक योजना बनाई जाए जो कि इसका पूर्ण दायित्व है, जिसे समझा नहीं जा रहा है।’
एनजीटी ने क्या कहा
पीठ ने कहा, ‘यदि बजटीय आवंटन में कमी है तो यह केवल राज्य और राज्य के लिए है कि वे लागत कम करके या संसाधनों में वृद्धि करके उपयुक्त योजना बनाएं।’ इसमें कहा गया है कि अपशिष्ट प्रबंधन के विषय पर पर्यावरण मानदंडों का अनुपालन प्राथमिकता पर होना चाहिए।
एनजीटी के पास जमा हैं पंजाब का 100 करोड़
एनजीटी के अनुसार कुल मुआवजा 2,180 करोड़ रुपये है। इसमें से पंजाब सरकार पहले ही ट्राइब्यूनल के पास 100 करोड़ रुपये अशोधित सीवेज और ठोस कचरे के निर्वहन को रोकने में विफल रहने के लिए जमा कर चुकी है।
पीठ ने कहा, ‘बाकी 2080 करोड़ रुपये पंजाब राज्य दो महीने के भीतर अलग-अलग खाते में जमा किए जा सकते हैं।’ एनजीटी राज्यों के नगर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों के अनुपालन की निगरानी कर रहा है।
-एजेंसी
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