जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नौ नवंबर 2022 (आज ) को शपथ ले ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इससे पहले उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के अनंत जी. कृष्णन को दिए इंटरव्यू में कई मुद्दों पर बात की। साथ ही, बतौर सीजेआई अपनी प्राथमिकताएं भी बताईं।
कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इसे सकारात्मक रूप में देखा जाना चाहिए और सिस्टम में जो सुधार जरूरी हैं, उन पर विचार होना चाहिए। कुछ दिन पहले ही केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू की ओर से उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम व्यवस्था को अपारदर्शी, गैर जवाबदेह बताया गया था।
लोकतंत्र में कोई भी संस्था पूर्ण होने का दावा नहीं कर सकती
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “जबकि हम उस कॉलेजियम प्रणाली के दायरे में काम करते हैं … फिर भी, कई सुधार हैं जो हम ला सकते हैं क्योंकि किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था पूर्ण होने का दावा नहीं कर सकती है इसलिए मुझे लगता है कि यह लगातार विकसित होने वाली प्रक्रिया है.”
लोगों की गोपनीयता को संरक्षित करने की भी जरूरत
कॉलेजियम के अपारदर्शी होने के आरोप पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि “न्यायाधीशों की नियुक्ति कैसे होती है, यह जानने में एक वैध और सार्वजनिक हित है।” लेकिन हमें उच्च न्यायालय में बार के सदस्य या न्यायाधीश जो विचाराधीन हैं, जैसे लोगों की गोपनीयता को संरक्षित करने की भी जरूरत है।” “वर्ना अगर हम अपनी चर्चाओं, अपने विचार-विमर्शों के हर छोटे विवरण को सार्वजनिक जांच में उजागर करना शुरू करते हैं तो सीधा परिणाम यह होगा कि कई अच्छे लोग न्याय की पेशकश करते समय न्याय की मांग करने या इसे स्वीकार करने में दिलचस्पी नहीं लेंगे।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि जजशिप की पेशकश को स्वीकार करके भी आप अपने निजी निजी जीवन को जांच के स्तर पर उजागर कर रहे हैं। दरअसल, यह संस्था की जरूरतों या हितों से जुड़ा हुआ नहीं है।
आलोचनाओं से निपटने का सबसे अच्छा तरीका
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि “मुझे विश्वास है कि बतौर न्यायाधीश हम अपने निर्णयों में अपने लिखित शब्द के संदर्भ में और न्यायाधीशों के रूप में अपने काम में जो करते हैं उसे भी गिना जाना चाहिए इसलिए आलोचना से निपटने का सबसे अच्छा तरीका इस तरह से काम करना है जो कॉलेजियम के कामकाज की विविध आलोचनाओं के अनुकूल हो।
उन्होंने कहा कि कुछ आलोचनाओं को पूरी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। कुछ आलोचनाओं से कुछ इस बात पर ध्यान देने की जरूरत हो सकती है कि हम अपनी प्रक्रियाओं को कितना बेहतर तरीके से बढ़ावा दे सकते हैं। हम आगे ऐसा भी करेंगे लेकिन सभी परिवर्तन प्रगतिशील तरीके से होने चाहिए ताकि स्थिरता को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही सभी के लिए निश्चितता और बेहतर परिणामों को बढ़ावा दिया जा सके।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बतौर सीजेआई बताईं प्राथमिकताएं
अपने इंटरव्यू में उन्होंने सीजेआई बनने के बाद की अपनी प्राथमिकताओं के बारे में भी चर्चा की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने बतौर सीजएआई न्यायपालिका के लिए अपनी प्राथमिकताओं पर कहा कि सूची में सबसे पहले जिला न्यायपालिका से लेकर उच्च न्यायालयों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक के रिक्त पदों को भरना है। उन्होंने न्यायपालिका में और अधिक विविधता लाने की जरूरत को भी रेखांकित किया।
सोशल मीडिया पर आलोचना और लाइव स्ट्रीमिंग पर राय
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को सोशल मीडिया के युग में “रीडप्ट… री-इंजीनियर” करने की जरूरत होगी। उन्हें सोशल मीडिया पर आलोचना के बारे में अनावश्यक रूप से चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है। वहीं, अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की तेजी से बढ़ रही मांग के बारे में उन्होंने कहा, “यह हमारे जजों के सामने नई जरूरतें और चुनौतियां पेश करेगी इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद को भी प्रशिक्षित करें और हमारे पास मौजूदा समय की इस नई चुनौती को संभालने के लिए जजों को जरूरी प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी होनी चाहिए।”
Compiled: up18 News
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