भाजपा नेता ने, भाजपा नेता के बेटे को “मुसलमान होने के शक में” पीट-पीट कर मार डाला। जो मारा गया, वह मानसिक रूप से कमजोर था। जिसने मारा, उसका दिमाग हिंदू रक्षा के लिए सनक गया है। यह सनक ही आज की हकीकत है। यह किसी काल्पनिक क्रूरकथा का सारांश नहीं है। यह आरएसएस के सपनों का रामराज्य है जहां हिंदुओं को 800 साल पीछे जाकर बाबर से बदला लेना है। बाबर न मिले तो कोई भी मुसलमान मिले। मुसलमान न मिले तो हिंदू या जैन के मुसलमान होने की कल्पना की जाए और उसे तब तक पीटा जाए जब तक वह मर नहीं जाता।
यह लिंचिंग नहीं है। यह उससे बहुत आगे की बात है। इसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। एक हिंदू ने एक जैन को इस शक में मार डाला कि वह मुसलमान हो सकता है। कोई मुसलमान हो, ईसाई हो, सिख हो, बौद्ध हो, किसी भाजपाई को किसी से प्रमाणपत्र मांगने का क्या अधिकार है? लेकिन यह महान कारनामा मध्य प्रदेश के नीमच में हुआ है।
रतलाम में एक सबसे सबसे बुजुर्ग सरपंच हैं पिस्ताबाई चत्तर जिनकी उम्र 86 साल है। उनके तीन बेटे हैं, भंवरलाल, अशोक और राजेश। अशोक मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, राजेश समाजसेवी हैं। भंवरलाल जैन दिमागी रूप से अस्वस्थ थे, इसी वजह से उनकी शादी भी नहीं हुई थी।
सरपंच का पूरा परिवार 15 मई को भेरूजी पूजा करने चित्तौड़गढ़ गया था। 16 मई को पूजा-पाठ के बाद सरपंच का बड़े बेटे भंवरलाल लापता हो गए। परिवार ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। बाद में नीमच के मनासा में उनका शव मिला।
यह मामला खुला कैसे? पीटकर मारने वाले ने पुरस्कृत होने के लिए अपने इस महान कारनामे का वीडियो बनाया था और खुद ही इसे ‘स्वच्छ भारत ग्रुप’ में वायरल कराया। वायरल होते-होते यह वीडियो भंवरलाल के परिजनों तक पहुंचा।
पीटने वाला दिनेश कुशवाहा भाजपा पार्षद का पति है। उसने इधर-उधर भटक रहे भंवरलाल को पकड़कर पूछताछ शुरू की और भंवरलाल घबराहट में कुछ बता नहीं पाए। वायरल वीडियो में वह पूछ रहा है, ‘क्या तुम मुसलमान हो?’ और लगातार पीट रहा है।
असली सवाल है कि संघियों को यह अधिकार किसने दिया कि वे किसी को पकड़कर पहचान पूंछें, किसी का चूल्हा चेक करें, फ्रिज चेक करें, खाना चेक करें, जाति चेक करें, धरम चेक करें। कोई मुसलमान ही हो तो वे क्यों मारेंगे? कोई दलित हो तो वे क्यों मारेंगे? लेकिन पिछले आठ साल से समाज में दुश्मनी पैदा करने की गरज से इन चीजों को बढ़ावा दिया जा रहा है। आजतक लिंचिंग की घटनाओं पर केंद्र सरकार, आरएसएस या खुद नरेंद्र मोदी की ओर से इसे रोकने की कोशिश नहीं हुई। वे मौन रहकर इसे बढ़ा रहे हैं।
वे हिंदुओं की गोलबंदी करके सत्ता में बने रहने की लालच में समाज में इतना जहर भर रहे हैं कि एक मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति, जिसकी मदद की जानी चाहिए थी, उसे एक नेता ने पीटकर मार डाला। ऐसा समाज किस हिंदू को चाहिए? ऐसे बर्बर और वहशी नेता किस जनता को चाहिए? ऐसी बर्बरताओं से हिंदुओं को कौन-सा विश्वगुरु बनने का सपना दिखाया जा रहा है?
यह नफरत किसी को नहीं छोड़ेगी। समाज एक बार अराजक हो जाए तो कानून का शासन बहाल होने में दशकों लगते हैं। यह सनक तेजी से फैल रही है। किसी दिन आपके बच्चों के सिर पर वज्रपात होगा। यह नहीं रुकी तो हम आप तक जरूर आएगी।
आरएसएस के नफरती के कारोबार के चलते हमारा देश, हमारा समाज टूट रहा है। हो सके तो इसे बचा लीजिए। हम-आप सब मिलकर यह कर सकते हैं।
-कृष्ण कांत
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