सत्यजीत रे की आज 102वीं जयन्ती है, सत्यजीत रे भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी फिल्में, उनका निर्देशन, फिल्मों के प्रति उनका त्याग और समर्पण आज भी याद किया जाता है।
ऑस्कर से लेकर भारत रत्न तक ऐसा कोई सम्मान नहीं है, जो सत्यजीत रे को ना मिला हो। उन्होंने कुल 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अपने नाम किए हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं संसद में सत्यजीत के फिल्मों के खिलाफ बहस हो चुकी है। एक्ट्रेस नरगिस दत्त ने संसद में उनकी फिल्मों की आलोचना की थी।
दरअसल, सत्यजीत ने अपनी फिल्मों में आजादी के बाद के गरीब भारत की ऐसी तस्वीर दिखाई जिसे देखकर नरगिस ने संसद में कहा था कि उनकी फिल्में दुनिया में भारत की इमेज खराब कर रही है।
मगर इंदिरा गांधी ने नरगिस को अपना बयान वापस लेने के लिए कह दिया था। इंदिरा गांधी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वो सत्यजीत रे के काम की बहुत इज्जत करती थीं।
एक बार इंदिरा गांधी ने सत्यजीत रे से पंडित जवाहरलाल नेहरु के अच्छे कामों को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए भी कहा था, मगर उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि वो राजनीतिक मुद्दों पर फिल्में नहीं बना सकते।
वहीं, सत्यजीत रे नरगिस द्वारा उनकी फिल्मों की आलोचना किए जाने के बाद भी उनके काम की भी बहुत तारीफ करते थे। वह उनके फिल्मों में बेहतरीन काम और फिल्मी योगदान की सराहना भी करते थे।
सत्यजीत ने अपने जीवन में कुल 37 फिल्में बनाई थीं, जिनमें ‘पाथेर पांचाली’, ‘अपराजितो’, ‘अपूर संसार’ और ‘चारुलता’ जैसी कई यादगार फिल्में शामिल हैं। उन्होंने ज्यादातर फिल्में बंगाली में ही बनाई थी। हिंदी में उन्होंने ‘शतरंज के खिलाड़ी’ जैसी फिल्म बनाई, जो हिंदी सिनेमा की सबसे यादगार फिल्म है।
– एजेंसी