लोगों के लाख तानो के बावजूद खुद को साबित करने का नाम है नंदिता दास

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नंदिता दास एक एक्ट्रेस और डायरेक्टर हैं। उनका जन्म 7 नवंबर 1969 को महाराष्ट्र के मुंबई में उड़िया परिवार में हुआ था। इनके पापा का नाम जतिन दास है। मां का नाम वर्षा दास है। इनका पालन-पोषण दिल्ली में हुआ था। यहीं से उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी ती थी। साथ ही मिरंडा हाउस से भूगोल विज्ञान में बीए किया था। फिर सोशल वक्त में मास्टर्स किया था। इसके बाद उन्होंने अभियन में अपना करियर बनाया और करीब 40 फिल्मों में एक्टिंग की। इसमें हिंदी, इंग्लिश, बंगाली, मलयालम, तमिल, तेलुगू, उर्दू, ओडिया और कन्नड़ भाषा की मूवीज शामिल थी।

नंदिता दास के करियर की शुरुआत

नंदिता दास के पापा एक फेमस पेंटर हैं। वहीं उनकी मां एक लेखिका हैं। मतलब पूरा परिवार ज्ञान का भंडार है। नंदिता ने पहले स्ट्रीट थिएटर ग्रुप जिसका नाम जननाट्य मंच में परफॉर्म करना शुरू किया था। यहां 6 साल अभिनय भी किया था। इसके अलावा उन्होंने अलग-अलग NGO में भी काम किया। उन्होंने 1987 में परिणीति से एक्टिंग डेब्यू किया। ये टीवी के लिए बनाई गई एक छोटी फिल्म थी। एक्ट्रेस का भी रोल छोटा था लेकिन दमदार था।

नंदिता दास ने लोगों की नहीं की परवाह

नंदिता दास बाकियों की तरह बहुत सुंदर नहीं थीं। मतलब उनका रंग सांवला था। ऐसे में उनको बॉलीवुड में ज्यादा काम नहीं मिला। उन्हें भी इस बात का एहसास हो गया था कि अगर एक्ट्रेस सांवली होती है तो उसे रोल मिलने बंद हो जाते हैं। काम से इम्प्रेस होकर कई प्रोड्यूसर्स ने उन्हें साइन कर लिया लेकिन उसके साथ कई शर्तें भी रखी। कहा गया कि काजोल की तरह गोरा होना पड़ेगा। रेखा के ट्रीटमेंट का उदाहरण भी दिया गया। लेकिन एक्ट्रेस को ये सारी बातें नागवार गुजरीं। उन्होंने खुद से प्रेम किया और खुद के रंग में कोई बदलाव नहीं किया। इसी के बाद उन्होंने एक्टिंग छोड़ दी और डायरेक्शन में अपनी किस्मत आजमा ली।

एक्टर से डायरेक्टर बनीं नंदिता दास

नंदिता दास ने साल 2008 में अपनी पहली फिल्म ‘फिराक’ को डायरेक्ट किया था। इसके बाद 2018 में उन्होंने ‘मंटो’ भी डायरेक्ट की थी। इसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी नजर आए थे। इसके लिए वह फीस नहीं ले रही थीं। क्योंकि जब उन्होंने कहानी सुनी थी तो वह उनको अपने ही तरह लग रही थी। इसके बाद नवाजुद्दीन ने उनको 1 रुपये बतौर फीस के रूप में दिया था। सिर्फ ये सोचकर कि अगर वह एक भी रुपया नहीं लेंगी तो एक्टर को हमेशा मलाल रहेगा। इसके अलावा उन्होंने कपिल शर्मा स्टारर फिल्म ‘ज्विगाटो’ को भी डायरेक्ट किया, जो कि 47वें टोरंटो फिल्म फेस्टिवल और बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी पहुंची थी। नंदिता को डायरेक्शन के लिए कई अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं। इसके अलावा वह 58वें कान फिल्म फेस्टिवल में जूरी मेंबर के तौर पर भी चुना गया था।

Compiled: up18 News


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