आगरा, 19 नवंबर। राज्यसभा सांसद नवीन जैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर दिगंबर जैनाचार्य आचार्य विद्यासागर महाराज को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किए जाने की मांग उठाई है। सांसद जैन ने अपने पत्र में लिखा है कि आचार्यश्री का जीवन राष्ट्र, धर्म और मानव कल्याण के प्रति पूर्णतः समर्पित रहा और उनका तप व त्याग करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है।
सांसद जैन ने कहा कि आचार्य विद्यासागर ने 22 वर्ष की आयु में दिगंबर दीक्षा लेकर कठोर तप, संयम, सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य जैसे सिद्धांतों का पालन करते हुए भारतीय समाज और आध्यात्मिक जगत को नई दिशा दी। उन्होंने जीवन भर कठिन तपस्या, लगातार पैदल यात्राओं, सादगी और अनुशासन का पालन करते हुए समाज के लिए प्रेरक भूमिका निभाई।
उन्होंने उल्लेख किया कि आचार्यश्री ने संस्कृत, प्राकृत, हिंदी, मराठी, कन्नड़ सहित विभिन्न भाषाओं में 50 से अधिक ग्रंथों की रचना की। ‘मूकमाटी’ जैसी कृतियों ने आध्यात्मिक साहित्य को समृद्ध किया है। उनके साहित्य और व्यक्तित्व पर 100 से अधिक पीएचडी शोध कार्य पूरे होना उनके गहन प्रभाव और अध्यात्मिक महत्ता का प्रमाण है।
पत्र में यह भी कहा गया कि आचार्य विद्यासागर ने शिक्षा, स्वास्थ्य, नशा मुक्ति, पर्यावरण संरक्षण और चरित्र निर्माण जैसे क्षेत्रों में समाज का मार्गदर्शन किया। उनकी प्रेरणा से देशभर में सैकड़ों शैक्षणिक व स्वास्थ्य संस्थान स्थापित हुए।
सांसद जैन ने बताया कि 18 फरवरी 2024 को आचार्यश्री ने तीन दिनों के दीर्घ उपवास और पूर्ण मौन के उपरांत शांतिपूर्वक देह त्याग की। अपने आध्यात्मिक सैद्धांतिक जीवन को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 500 से अधिक मुनियों और 1000 से अधिक आर्यिकाओं को दीक्षा देकर आध्यात्मिक चेतना को नई दिशा प्रदान की।
समापन में सांसद नवीन जैन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि आचार्य विद्यासागर महाराज को भारत रत्न प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि भारतीय तप परंपरा, आध्यात्मिक धरोहर और मानवीय मूल्यों को विश्व पटल पर और अधिक सम्मान मिल सके।

