आरएलडी में शामिल होने के बाद मलूक नागर ने कहा, “साल 2006 से मैं बसपा में हूं. ये ऐतिहासिक रिकॉर्ड है क्योंकि 18 साल तक बसपा में कोई और नहीं टिका. बसपा में लोग या तो पार्टी से निकाल दिए जाते हैं या तो पार्टी छोड़कर चले जाते हैं. 2022 में मैंने विधायक चुनाव नहीं लड़ा, 2024 में सांसद चुनाव भी नहीं लड़ा. घर में बैठकर देश के लिए काम ना करें, ये ठीक नहीं था.”
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में मलूक नागर ने कहा, “कई कड़वे घूंट भरे हैं. चुप रहे हैं. विधायक का चुनाव नहीं लड़वाया गया, सांसद का चुनाव नहीं लड़वाया गया, चुप रहे. स्टार प्रचारकों में भी जगह नहीं मिली तो भी चुप रहे. लेकिन देश के लिए काम करना चाहते हैं.”
मलूक नागर ने आगे कहा, “मजबूरी में पार्टी छोड़नी पड़ी है.
2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी के टिकट पर बिजनौर से लड़ते हुए मलूक नागर ने क़रीब 70 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी.
पिछले लोकसभा चुनाव में मलूक नागर ने बीजेपी के कुंवर भारतेंद्र सिंह को मात दी थी.
बता दें कि बसपा चीफ मायावती ने इस बार मलूक नागर का टिकट काट दिया था. नागर की जगह बीएसपी ने विजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है. जानकारों का कहना है कि टिकट न मिलने को लेकर नागर नाराज चल रहे थे. इसके बाद ही उन्होंने पार्टी छोड़ी है. बता दें कि नागर की गिनती बसपा के कद्दावर नेताओं में होती थी. उन्हें मायावती का खास भी माना जाता था.
लगातार दो लोकसभा चुनावों में मिली हार
बता दें कि नागर 2009 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर मेरठ से लड़ा था लेकिन उन्हें इस चुनाव में हार मिली. वहीं, 2014 में उन्होंने बिजनौर से संसदीय चुनाव लड़ा था मगर इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें बिजनौर से जीत मिली थी. इस बार भी उन्हें यहां से टिकट मिलने की उम्मीद थी पर पार्टी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. पार्टी ने इस बार यहां से विजेंद्र सिंह को टिकट दे दिया. टिकट न मिलने से नागर नाखुश थे.
नागर सबसे अमीर सांसद
नागर की गिनती यूपी के सबसे अमीर सांसदों में होती है. उन्होंने हलफनामे में 249 करोड़ की संपत्ति घोषित की थी. नागर वैसे बड़े बिजनेसमैन हैं. उनका रियर स्टेट का कोरबार है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अक्टूबर 2020 में नागर के कंपनियों पर रेड मारी थी.
-एजेंसी
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