भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक आज से शुरू हो रही है। मौद्रिक नीति समिति की यह बैठक 4 से 6 अक्टूबर तक चलेगी। इस बैठक में रेपो रेट, महंगाई, जीडीपी ग्रोथ और दूसरे आर्थिक मुद्दों पर चर्चा होगी। बैठक पूरी होने पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास प्रमुख ब्याज दरों पर लिया गया फैसला सुनाएंगे। रेपो रेट के घटने या बढ़ने का सीधा असर लोन और जमा की ब्याज दरों पर पड़ता है। रेपो रेट बढ़ने पर बैंक लोन की ब्याज दरें बढ़ा देते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार इस बार भी आरबीआई रेपो रेट को अपरिवर्तित रख सकता है।
पिछले 3 बार से नहीं बदली गई रेपो रेट
12 बाजार प्रतिभागियों के ईटी पोल से पता चलता है कि आरबीआई एमपीसी रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रख सकती है। इस तरह लगातार चौथी बार आरबीआई रेपो रेट को अपरिवर्तित रख सकता है। ऐसा हुआ तो लोन पर ब्याज दरें प्रभावित नहीं होंगी। बैंक आमतौर पर रेपो रेट में बदलाव होने पर ही लोन की ब्याज दरों में बदलाव करते हैं। हालांकि, महंगाई को लेकर सतर्क रुख अपनाया जा सकता है क्योंकि अमेरिका में आगे ब्याज दरों में सख्त रुख के संकेत हैं। दूसरी तरफ कच्चे तेल की कीमतें 10 महीनों के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं।
डॉलर उछला और बढ़ गए कच्चे तेल के भाव
इस समय डॉलर इंडेक्स में काफी मजबूती देखने को मिल रही है। वहीं, कच्चे तेल के दाम रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। मंगलवार को कच्चा तेल 90 डॉलर पर जा पहुंचा। ब्रेंट ऑयल फ्यूचर्स की कीमतें 90.77 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुई। उधर क्रूड ऑयल डबल्यूटीआई फ्यूचर्स 89.14 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें महंगाई पर असर डालेंगी। ऐसे में आरबीआई एमपीसी की बैठक में यह मुद्दा अहम होगा।
अमेरिका में ब्याज दरें हाई बने रहने के संकेत
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल डॉलर में मजबूती के साथ-साथ आया है। डॉलर इसलिए मजबूत हुआ क्योंकि यूएस फेड ब्याज दरों को लंबे समय तक उच्च स्तर पर बनाए रखना चाहता है। इससे वैश्विक निवेशकों में उभरते बाजारों की सिक्योरिटीज के प्रति आकर्षण कम हो गया है। विदेशी फंड्स ने सितंबर में पहली बार इस वित्त वर्ष में भारतीय शेयरों में शुद्ध बिकवाली की, भले ही निफ्टी पहली बार 20,000 के स्तर को पार कर गया।
Compiled: up18 News
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