नई दिल्ली | ब्रॉडकास्टिंग बिल को लेकर चिंता और विरोध के बीच केंद्र ने इसका मसौदा वापस ले लिया। सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने कहा, हम ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (रेगुलेशन) बिल के ड्राफ्ट पर काम कर रहे हैं। इसका ड्राफ्ट रायशुमारी के लिए 10 नवंबर 2023 को सार्वजनिक किया गया था। कई सिफारिशें, टिप्पणियां और सुझाव मिले।
अपडेट ड्राफ्ट को केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद के मानसून सत्र में पेश किया। इसके बाद से मीडिया संगठनों, कंटेट क्रिएटर्स और विपक्षी दलों की ओर से इसका विरोध किया जा रहा था। विपक्ष और मीडिया संगठनों का आरोप है कि इस बिल से ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटर्स, स्वतंत्र पत्रकारों, यूट्यूबर, इंस्टाग्राम पर सक्रिय कंटेंट क्रिएटर्स पर शिकंजा कसने और विज्ञापन एजेंसियों को इसके दायरे में लाने की तैयारी थी।
वहीं, मंत्रालय ने कहा, नए ड्राफ्ट पर सुझाव और टिप्पणियों के लिए 15 अक्टूबर 2024 तक समय दिया जा रहा है। ज्यादा विचार-विमर्श के बाद नया ड्राफ्ट लाया जाएगा। इससे पहले विपक्ष ने आरोप लगाया था कि इस बिल को संसद में पेश करने से पहले चुनिंदा हितधारकों को दिया गया। वहीं, 90 से ज्यादा डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स के संगठन डिजी-पब न्यूज इंडिया फाउंडेशन और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा था कि मंत्रालय ने चुनिंदा हितधारकों के साथ बंद कमरे में इस पर चर्चा की। हमें इसका ड्राफ्ट नहीं दिया गया।
इसलिए हो रहा था विरोध
ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज बिल 2024 मौजूदा केबल टीवी नेटवर्क कानून 1995 की जगह लेता। इसमें कहा गया है कि जो सोशल मीडिया पर नियमित रूप से वीडियो अपलोड करते हैं या पॉडकास्ट बनाते हैं या ऑनलाइन करंट अफेयर्स के बारे में लिखते हैं, उन्हें डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर्स के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। ओटीटी प्रसारण सेवा की परिभाषा भी बदलने का प्रावधान था। इससे नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म ही नहीं,बल्कि नियमित रूप से सोशल मीडिया पर कंटेंट अपलोड करने वाले स्वतंत्र
लोग भी ओटीटी प्रसारण सेवा के दायरे में आ जाते।
साभार सहित
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