मोदी सरकार कामगारों और श्रमिकों को ध्यान में रखते हुए देश में एक साथ 100 अमृत भारत ट्रेनें चलाने की योजना पर काम कर रही है। इसके तहत भारतीय रेलवे के सभी कारखानें 200 रेल इंजन और 2200 कोच तैयार करने में लगे हुए हैं। मोदी सरकार इन ट्रेनों के सभी कोच का निर्माण एलएचबी तकनीक से किया जा रहा है। जिससे किसी भी दुर्घटना के दौरान यह कोच एक दूसरे पर नहीं चढ़ेंगे। इसके अलावा इनमें झटके भी कम लगेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या से चलने वाली पहली अमृत भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी।
15 फीसदी महंगा होगा किराया
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि इस ट्रेन का किराया आम मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से 15 फीसदी ज्यादा होगा। हालांकि यह ट्रेन अन्य ट्रेनों के मुकाबले बहुत ही सुविधायुक्त होगी। यात्रियों को यात्रा में काफी आराम मिलेगा।
ट्रेनों के लिए हो रहा है मार्ग का चयन
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया है कि 100 ट्रेनों के लिए रेलवे मार्ग का चयन किया जा रहा है। देश के प्रमुख रेलमार्गों पर यह ट्रेनें चलाई जाएंगी। अभी दरभंगा से आनंद विहार तक पहली ट्रेन चलाई गई है। यह अयोध्या होते हुए संचालित हो रही है। दूसरी ट्रेन का संचालन मालदाटाउन से बेंगलुरू के बीच किया जा रहा है।
पुश-पुल तकनीक से चलेगी ट्रेन
वंदेभारत की तरह अमृतभारत ट्रेन पुश-पुल तकनीक से चलेगी। इसमें दोनों तरफ ही इंजन रहेंगे। इसमें आगे का इंजन ट्रेन का संचालित करता है और पीछे का इंजन ट्रेन को पुश करता है। इस तकनीक से ट्रेन तेजी से गति पकड़ लेती है। यह ट्रेन 160 किलोमीटर प्रतिघंटा के गति से चल सकती है। इसे सेमीबुलेट ट्रेन कहना गलत नहीं होगा।
अमृत भारत की एक ट्रेन में होंगे 22 कोच
भारतीय रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि अमृत भारत ट्रेन के सभी ट्रेनों में 22 कोच का रैक रहेगा। एक इंजन आगे और एक इंजन पीछे लगने के बाद यह 24 कोच की ट्रेन हो जाएगी। इस समय पूरे देश में 24 कोच की लंबी ट्रेन ज्यादातर चलाई जा रही हैं। इसी आधार पर देश में अब प्लेटफार्म भी बनाए जा रहे हैं। लंबी ट्रेनों के संचालन से ज्यादा से ज्यादा लोगों को गंतव्य पहुंचाने में मदद मिल रही है।
वंदेभारत बनाने वाली फैक्ट्री में बन रहा इंजन
वंदेभारत ट्रेन बनाने वाली इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चैन्नई ही इस ट्रेन के लिए भी इंजन तैयार कर रही है। या यूं कहें कि जो इंजन वंदभारत एक्सप्रेस ट्रेन में लगा है अब वही अमृत भारत एक्सप्रेस में लगाया जाएगा। इसके अलावा रेल कोच फैक्ट्री और चितरंजन लोकोमोटिव वकर्स पश्चिम बंगाल में भी इंजन और कोच तैयार किए जा रहे हैं।
-एजेंसी