मेघालय हाईकोर्ट ने असम-मेघालय सीमा समझौते पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया है। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने मार्च में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें 12 विवादित स्थानों में से कम से कम छह में सीमा का सीमांकन किया गया था, जिसकी वजह से अक्सर दोनों राज्यों के बीच विवाद होता था।
सीमा चौकियों का निर्माण नहीं किया जाएगा
समझौते को लेकर मेघालय के चार पारंपरिक प्रमुखों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसपर न्यायमूर्ति एच एस थांगखिव ने छह फरवरी, 2023 को सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया। वहीं न्यायमूर्ति थंगख्यू ने कहा कि अगली तारीख तक कोई भौतिक सीमांकन या जमीन पर सीमा चौकियों का निर्माण नहीं किया जाएगा।
पारंपरिक प्रमुखों ने अपनी याचिका में उच्च न्यायालय से दो पूर्वोत्तर राज्यों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को रद्द करने का आग्रह किया था, जिसमें दावा किया गया था कि यह संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जो आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधानों से संबंधित है।
उन्होंने आरोप लगाया कि समझौता ज्ञापन पर संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त इलाकों के प्रमुखों और उनके दरबारों से परामर्श या सहमति लिए बिना हस्ताक्षर किए गए थे। याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि समझौता सैद्धांतिक रूप से संविधान के अनुच्छेद 3 के प्रावधान के विपरीत था जिसके तहत संसद विशेष रूप से मौजूदा राज्यों के क्षेत्र या सीमाओं को बदलने के लिए सक्षम है।
12 क्षेत्रों से संबंधित है विवाद
मेघालय को 1972 में असम से अलग राज्य के रूप में बनाया गया था और इसने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी थी, जिससे साझा 884.9 किमी लंबी सीमा के विभिन्न हिस्सों में 12 क्षेत्रों से संबंधित विवाद पैदा हुए थे।
-Compiled by up18 News
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