इमरान ख़ान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ की ओर से विरोध और बॉयकॉट के बीच नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ को पंजाब सूबे की मुख्यमंत्री के रूप में चुन लिया गया है.
मरियम नवाज़ साल 2011 से लगातार राजनीति में सक्रिय हैं. लेकिन 8 फरवरी को हुए चुनाव में वह पहली बार पाकिस्तानी संसद नेशनल असेंबली की सदस्य बनी हैं.
मरियम नवाज़ पाकिस्तान में मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने वाली पहली महिला बन गई हैं.
मरियम नवाज़ को पाकिस्तान की सबसे अहम लेकिन विवादित महिला राजनेता के रूप में देखा जाता है. उनकी पार्टी में लोग उनकी हिम्मत और शानदार शख़्सियत के मुरीद हैं. लेकिन इमरान ख़ान के समर्थकों के बीच उन्हें भ्रष्ट परिवारवादी राजनीति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
राजनीति की डगर पर कैसे बढ़ीं
मरियम नवाज़ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पहली संतान हैं. वे लाहौर में पली-बढ़ी हैं और उनकी शादी सेना के अधिकारी रह चुके एक शख़्स से हुई, जो 90 के दशक में उनके पिता के प्रधानमंत्री रहते हुए उनके (नवाज़ शरीफ़ के) एडीसी थे.
शरीफ़ परिवार पारंपरिक और रूढ़िवादी स्वभाव का है. ऐसे में उनसे राजनीति में भाग लेने की उम्मीद नहीं की गई थी और न ही इसके लिए उन्हें तैयार किया गया था.
मरियम के पिता नवाज़ शरीफ़ का पूर्व सेनाध्यक्ष परवेज़ मुशर्रफ़ ने अक्टूबर 1999 में जब तख़्तापलट करके उन्हें क़ैद में डाला, तब तक वे लो प्रोफ़ाइल रहकर अपने दो बच्चों की परवरिश कर रही थीं.
उस वक़्त उनके परिवार के बाक़ी मर्द भी नज़रबंद कर दिए गए थे.
वैसे हालात में मरियम अपनी मां के साथ पहली बार सार्वजनिक तौर पर सामने आईं. लोगों के सामने आकर उन्होंने जनरल मुशर्रफ़ को खुली चुनौती दी और अपने पिता का समर्थन किया.
कुछ महीने बाद सऊदी अरब के किंग की मदद से मरियम और उनकी मां ने जनरल मुशर्रफ़ के साथ एक डील की. इस डील के तहत नवाज़ शरीफ़ जेल से रिहा हुए और दिसंबर 2000 में सपरिवार सऊदी अरब निर्वासित हो गए.
उसके बाद साल 2007 में नवाज़ शरीफ़ पाकिस्तान लौटे. परिवार के क़रीबी सूत्रों का कहना है कि निर्वासन के दौरान मरियम ने राजनीति में उतरने के लिए ख़ुद को तैयार करना शुरू किया.
-एजेंसी