अकेलेपन का अर्थ यह बिलकुल नहीं कि आप अकेले हैं, बल्कि यह एक तरह की भावना है जो आपको यह अहसास करवाती है कि आपके जीवन में प्रेम की कमी है। शायद यही वजह है कि बहुत से लोग हर समय परिवार और दोस्तों से घिरे होने के बावजूद खुद को अकेला महसूस करते हैं। हम किसी के साथ रिश्ते में होते हैं, दोस्तों के समूह में हो सकते हैं, यहाँ तक की विवाहित होने के बावजूद हमारा दिल खाली और एक तरह से अकेला हो सकता है।
दूसरों से दूरी, उनके साथ जुड़ाव ना होने का आधार कहीं न कहीं यही है कि हम खुद से दूर और अनजान हैं। जब हम खुद के साथ संपर्क में नहीं होते, तब ऐसा स्वाभाविक है कि हम दूसरों के साथ भी स्वयं को अकेला महसूस करें। आजकल तो वैसे भी हम सोशल मीडिया पर लोगों को फॉलो करने में ज्यादा समय बिता रहे हैं बजाय खुद को तलाशने में।
हम सेल्फी लेने में समय जाया करते हैं, लेकिन खुद से रूबरू होने के लिए चंद मिनट भी हमारे पास नहीं है। हम अपनी अंतरचेतना के साथ संबंध स्थापित कर अपने अकेलेपन से बाहर आ सकते हैं।
हम सभी में एक चीज समान है और वो है हमारे भीतर मौजूद वह दिव्य आत्मा। एक बार अगर हमने उस आत्मा से रिश्ता जोड़ लिया तब हम दूसरों के साथ भी आसानी से रिश्ता कायम कर सकते हैं, एक ऐसा रिश्ता जो बहुत मजबूत और बहुत अर्थपूर्ण है। जब यह रिश्ता भावनाओं के साथ जुड़ता है तब वहाँ किसी और चीज की चाहत नहीं होती केवल प्रेम रह जाता है। वह रिश्ता जिस्मानी या भौतिक न होकर सीधे आत्मा को जोड़ता है।
हम अक्सर प्रेम के आदान प्रदान में असफल हो जाते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे दिल खाली होते हैं। लेकिन जब हमारा रिश्ता किसी के साथ गहराई के साथ जुड़ता है, जब हम किसी की आत्मा के साथ अपने संबंध स्थापित करते हैं तब प्रेम की वास्तविक परिभाषा हमें समझ आती है। तब हर तरह का आदान-प्रदान खूबसूरत हो जाता है।
बाकी सब माया है
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