श्रीनगर। जेल में बंद अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की बेटी समा शब्बीर और दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की पोती रुवा शाह ने खुद को अलगाववादी विचारधारा से अलग होने की घोषणा की है। दोनों ने खुद को भारत संघ की संप्रभुता के प्रति अपनी वफादारी की प्रतिज्ञा की है।
स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित समान सार्वजनिक नोटिस में, उन्होंने खुद को अलगाववादी राजनीति से दूर कर लिया। गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश की बेटी रुवा शाह ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर खुद को उनके दिवंगत दादा द्वारा स्थापित हुर्रियत कॉन्फ्रेंस गुट से अलग कर लिया है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की विचारधारा के प्रति उनका कोई झुकाव या सहानुभूति नहीं है।
जम्मू कश्मीर में सीबीएसई की पूर्व टॉपर रही हैं समा
समा शब्बीर ने भारत की संप्रभुता के प्रति अपनी निष्ठा की घोषणा करते हुए गुरुवार को अपने पिता की डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (डीएफपी) से खुद को अलग कर लिया।
23 वर्षीय समा जम्मू कश्मीर में सीबीएसई की पूर्व टॉपर रही हैं। उन्होंने कहा कि वह भारतीय नागरिक हैं और स्पष्ट रूप से अपने पिता द्वारा स्थापित प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन से ताल्लुक नहीं है। वर्तमान में शब्बीर मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में कैद है।
शाह की बड़ी बेटी 23 वर्षीय समा शब्बीर ने नोटिस में कहा, “मैं भारत की एक वफादार नागरिक हूं और मैं किसी भी व्यक्ति या संगठन से संबद्ध नहीं हूं, जो भारत संघ की संप्रभुता के खिलाफ है।”
समा शब्बीर ने कहा, “मैं किसी भी तरह से डीएफपी या इसकी विचारधारा से जुड़ी नहीं हूं।” उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि बिना अनुमति के उन्हें अलगाववादी समूह से जोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शब्बीर अहमद शाह (70) को 2017 में प्रवर्तन निदेशालय ने आतंकी वित्तपोषण से जुड़ी कथित मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों को लेकर गिरफ्तार किया था। बाद में कथित आतंकी वित्तपोषण के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा भी उन पर आरोप पत्र दायर किया गया था।
यह मामला 2005 की घटना से उपजा है जिसमें एक कथित हवाला डीलर मोहम्मद असलम वानी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पर्याप्त मात्रा में नकदी के साथ पकड़ा था, जो कथित तौर पर शाह के लिए भेजी गई थी। मामले के सिलसिले में समा को 2019 में ईडी ने तलब किया था, लेकिन वह उस समय पेश नहीं हुईं क्योंकि वह यूनाइटेड किंगडम में कानून की पढ़ाई कर रही थीं।
– एजेंसी
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