कांग्रेस के दिग्गज नेता और जी-23 ग्रुप में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि 2014 से ही पार्टी नीचे की ओर जा रही है। हम एक के बाद एक राज्य हारते चले गए। ऐसे में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों को देख वह हैरान नहीं हुए।
उन्होंने कहा कि हाल में कई महत्वपूर्ण लोग पार्टी छोड़कर चले गए… जिन पर नेतृत्व को भरोसा था…. कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं। रविवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में सिब्बल ने कहा कि वह ‘सब की कांग्रेस’ बनाना चाहते हैं लेकिन कुछ लोग ‘घर की कांग्रेस’ बनाना चाहते हैं।
सिब्बल ने साफ कह दिया कि गांधी परिवार को नेतृत्व की भूमिका से हटकर किसी और को पार्टी का नेतृत्व करने का मौका देना चाहिए।
जो नेतृत्व के करीब थे, चले गए
सिब्बल ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों में जो भी लोग कांग्रेस नेतृत्व के काफी करीब थे, वे छोड़कर चले गए। मैं आंकड़े देख रहा था। इस पर गौर करना चाहिए कि 2014 के बाद 177 सांसदों और विधायकों के अलावा 222 उम्मीदवारों ने भी कांग्रेस छोड़ दी। किसी दूसरी पार्टी में इस तरह का पलायन नहीं देखा गया है।
हम वोटरों से कनेक्ट नहीं हो पाए…
दिग्गज नेता ने कहा, ‘राज्यों में कांग्रेस को मिले वोट प्रतिशत न के बराबर हैं। उत्तर प्रदेश में हमें केवल 2.33 प्रतिशत वोट मिले। हालांकि इससे मैं आश्चर्यचकित नहीं हुआ। हम मतदाताओं से कनेक्ट नहीं कर पाए। हम आगे बढ़कर लीड नहीं कर पा रहे और न ही लोगों तक पहुंच पा रहे हैं। लोगों के बीच भी यह चर्चा का विषय है। 2014 के बाद से ही जवाबदेही की कमी है, स्वीकार्यता घट रही है और लोगों तक पहुंच बढ़ाने के लिए प्रयास कम हुए।’
हार की वजह ढूंढनी पढ़ रही…
CWC की बैठक को लेकर सिब्बल ने कहा कि 2014 से आठ साल के बाद एक पार्टी के लिए हार की वजह ढूंढने के लिए कहना पड़ रहा है कि हम चिंतन शिविर करेंगे।
लीडरशिप को पराजय की वजह ही पता नहीं है, वह चिंतन शिविर का इंतजार कर रहा है। यह हकीकत के सामने आंखें बंद करने जैसा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की स्थापना ऐसे शख्स ने की थी, जो हिंदू धर्म से जुड़ा नहीं था। इस पार्टी में हर कोई शामिल था और उसकी विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध था। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी में हर साल अध्यक्ष बदलने की परंपरा रही है। हाल के वर्षों में यह नहीं देखा गया।
गांधी परिवार को पद छोड़ देना चाहिए?
यह पूछे जाने पर कि क्या आप और CWC के बाहर कांग्रेस के लोग मानते हैं कि गांधी परिवार को पद छोड़ने का समय आ गया है? सिब्बल ने कहा कि मैं दूसरों की बात नहीं करता लेकिन मेरी निजी राय है कि कम से कम मैं ‘सब की कांग्रेस’ चाहता हूं। कुछ लोग ‘घर की कांग्रेस’ चाहते हैं। मैं निश्चित रूप से घर की कांग्रेस नहीं चाहता हूं। मैं अपनी आखिरी सांस तक ‘सब की कांग्रेस’ के लिए संघर्ष करूंगा।
ममता, पवार पहले कांग्रेसी थे
उन्होंने कहा कि सब की कांग्रेस का मतलब आपस में साथ होने का नहीं बल्कि भारत में रहने वाले उन सभी लोगों को साथ लाने का है जो भाजपा को पसंद नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी पहले कांग्रेसी थीं। शरद पवार एक कांग्रेसी थे। सभी कांग्रेसी जो चले गए, उन्हें फिर से साथ आना चाहिए। देश में लाखों ऐसे लोग हैं कि किसी राजनीतिक पार्टी से ताल्लुक नहीं रखते लेकिन उनकी विचारधारा कांग्रेस से मेल खाती है। कुछ लोग कहते हैं कि A, B या C के बगैर कांग्रेस नहीं रह सकती है। साफ है कि उनका कहना ये है कि सब की कांग्रेस बिना ‘घर की कांग्रेस’ के सर्वाइव नहीं कर सकती है। यही चुनौती है। यह ए, बी या सी के खिलाफ नहीं है।
राहुल गांधी ने सीएम की घोषणा किस अधिकार से की?
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी को पार्टी की कमान फिर से अपने हाथों में लेनी चाहिए? सिब्बल ने कहा कि यह बात मुझे समझ में नहीं आती है। हमें समझना चाहिए कि इस समय राहुल गांधी नहीं, सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। हालांकि राहुल गांधी पंजाब जाते हैं और घोषणा करते हैं कि चरणजीत सिंह चन्नी नए मुख्यमंत्री होंगे। सिब्बल ने कहा कि किस अधिकार से उन्होंने यह ऐलान किया? वह पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं लेकिन सभी फैसले वही लेते हैं। वह पहले से ही ‘वास्तविक’ अध्यक्ष हैं।
गांधी परिवार के नेतृत्व के सवाल पर सिब्बल ने कहा कि लोग पार्टी कैसे खड़ी करते हैं… दूसरों को एक मौका देकर। आप एक संस्था बनाते हैं और लीडरशिप को समय-समय पर बदला जाता है। उन्हें स्वेच्छा से ऐसा करना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि उनके द्वारा नामित की गई संस्था कभी नहीं कहेगी कि उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। उन्हें खुद फैसला करना चाहिए और किसी और को मौका देना चाहिए।
-एजेंसियां