कंगना रनौत प्रकरण: कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच बहस, छह मई को आएगा आदेश

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आगरा। हिमाचल प्रदेश के मंडी क्षेत्र से भाजपा सांसद एवं फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ चल रहे मानहानि और आपत्तिजनक बयानबाजी के मामले में आज स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए विशेष न्यायाधीश अनुज कुमार सिंह की अदालत में जोरदार बहस हुई। दोपहर 2:30 बजे से लेकर 4:00 बजे तक दोनों पक्षों की ओर से गहन तर्क प्रस्तुत किए गए, जिसके बाद कोर्ट ने 6 मई 2025 को आदेश सुरक्षित रख लिया।

कंगना की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता ने रखा पक्ष

कंगना रनौत की ओर से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अनसूया चौधरी ने कोर्ट में बहस करते हुए कहा कि मीडिया में जो भी खबरें प्रसारित हुईं, वे कंगना द्वारा सीधे दिए गए बयान नहीं थे। उन्होंने तर्क दिया कि कंगना ने केवल उन्हीं खबरों का हवाला दिया जो पहले से समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनलों में प्रकाशित हो चुकी थीं। उन्होंने कहा, किसी छपी हुई खबर के आधार पर किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

विपक्ष की ओर से उठे तीखे सवाल

वहीं वादी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर एडवोकेट ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर समाचार रिपोर्टों के आधार पर विपक्षी नेताओं राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल आदि के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है, तो कंगना रनौत के खिलाफ क्यों नहीं?

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कंगना द्वारा की गई इंस्टाग्राम पोस्ट के खिलाफ नीतीश कुमार समेत कई भाजपा नेताओं ने भी सार्वजनिक रूप से निंदा की थी। देश के प्रतिष्ठित इतिहासकारों, साहित्यकारों व विद्वानों ने कंगना से पद्मश्री पुरस्कार वापस लेने की मांग की थी।

शहीदों और किसानों पर बयान को लेकर विवाद

वादी पक्ष ने कंगना पर आरोप लगाया कि उन्होंने इंस्टाग्राम पर महात्मा गांधी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को लेकर अभद्र टिप्पणियां की थीं। इसके साथ ही, अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक किसान आंदोलन में शामिल प्रदर्शनकारियों को हत्यारा, बलात्कारी और अलगाववादी कहा था।

जब अनसूया चौधरी ने दलील दी कि कंगना ने 2014 में भाजपा के घोषणापत्र से प्रभावित होकर यह बयान दिया, तो विपक्षी वकीलों ने प्रतिप्रश्न किया, क्या उस घोषणापत्र में लिखा था कि आज़ादी 2014 में मिली? या शहीदों ने अपनी जान भीख के लिए दी थी? इस सवाल का कंगना की अधिवक्ता के पास कोई स्पष्ट उत्तर नहीं था।

कोर्ट ने किया हस्तक्षेप

कोर्ट ने बहस के दौरान कई बार कंगना की ओर से बहस कर रहीं अधिवक्ता अनुसूया चौधरी को टोकते हुए कहा कि आप आरोपों पर केंद्रित रहें, तथ्यपरक बात करें।

करीब 90 मिनट तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने बहस को समाप्त कर दिया और 6 मई 2025 को आदेश सुनाने की तिथि तय कर दी।

वादी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह भैया, सुरेंद्र लखन, राम दत्त दिवाकर, बी.एस. फौजदार, सुमंत चतुर्वेदी, राममोहन शर्मा, नौशाद अहमद, आर.एस. मौर्य, नवीन वर्मा, उमेश जोशी सहित तीन दर्जन से अधिक वकील कोर्ट में मौजूद रहे।