वरिष्ठ पत्रकार अमर देवुलपल्ली की एक नई किताब में विस्तार से बताया गया है कि कैसे सोनिया गांधी ने आंध्र प्रदेश में गड़बड़ी की और राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने कांग्रेस से नाता तोड़ अपनी पार्टी बना डाली। इससे ‘सबसे पुरानी पार्टी’ अपने इस मजबूत गढ़ को खो बैठी, जिसने 2004 व 2009 में किसी भी अन्य राज्य की तुलना में उसे सबसे अधिक लोकसभा सीटें दी थीं।
‘डेक्कन पावरप्ले’ (रूपा प्रकाशन) में देवुलपल्ली लिखते हैं कि जगन के पिता कांग्रेस के मजबूत नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वाई. एस. राजशेखर रेड्डी (वाईएसआर) की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के सदमे में कम से कम 737 पुरुषों और महिलाओं ने आत्महत्या कर ली।
देवुलापल्ली कहते हैं, जगन अपने पिता की स्मृति का सम्मान करने और दिवंगत नेता की प्रशंसा करने वाले परिवारों के दुख को साझा करने के लिए राज्य भर में ओडारपु यात्रा निकालना चाहते थे लेकिन कई अनुरोधों के बावजूद सोनिया ने यात्रा की अनुमति नहीं दी। वह लिखते हैं कि इसके कारण जगन को हमेशा के लिए कांग्रेस छोड़नी पड़ी और अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, वाईएसआरसीपी बनानी पड़ी। जगन द्वारा राज्य का दौरा करने और वाईएसआर की विरासत पर अपनी पकड़ मजबूत करने के विचार से राज्य कांग्रेस नेतृत्व असहज था।
देवुलापल्ली लिखते हैं इन गलतफहमियों के बावजूद जगन पार्टी के साथ बने रहे और यात्रा की अनुमति के लिए नेतृत्व से अपील की। छह महीने- अक्टूबर 2009 से अप्रैल 2010 तक उन्होंने पार्टी आलाकमान को यह समझाने की कोशिश की कि वह पार्टी के सर्वोत्तम हित में हैं। जगन ने 9 अप्रैल 2010 को उन 737 पुरुषों और महिलाओं के परिवारों को सांत्वना देने के उद्देश्य से ओडारपु यात्रा शुरू की, जिन्होंने अपने नेता के लिए दुःखी होकर अपनी जान दे दी थी। इन 737 व्यक्तियों के नाम रेड्डीज के गृह मैदान, कडप्पा जिले के एक गांव, इदुपुलपाया में एक पट्टिका पर अंकित हैं।
लेखक लिखते हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने इसे अपनी अवज्ञा माना। लेकिन जगन निश्चिन्त थे, उन्होंने कहा कि ओडारपु यात्रा उनके राज्य के लोगों का सम्मान करने का उनका तरीका है। कांग्रेस नेतृत्व को आश्वस्त करने के लिए कि यह जगन का विद्रोह का कार्य नहीं है, उनकी मां वाई. एस. विजयम्मा और बहन शर्मिला जो अब कांग्रेस में उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं, ने ओडारपु यात्रा के पीछे के उद्देश्य को समझाने के लिए सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा।
आखिरकार, जगन को जून 2010 के अंत में सोनिया गांधी से मिलने का समय दिया गया। वह अपनी मां विजयम्मा और अपनी बहन के साथ उनसे मिले। यह नई दिल्ली में सोनिया गांधी के 10 जनपथ आवास पर 40 मिनट की बैठक थी। देवुलपल्ली लिखते हैं, जगन ने अपने पिता की दुखद मौत के बाद सदमे से मरने वाले लोगों के परिजनों के साथ अपनी बैठकों की गैर-राजनीतिक प्रकृति के बारे में सोनिया को आश्वस्त करने की पूरी कोशिश की। अडिग सोनिया गांधी ने उन्हें सभी मृतकों के परिवारों को एक जगह इकट्ठा करने और अलग-अलग के बजाय एक ही बार में सांत्वना देने को कहा।
-एजेंसी
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