दुकानों पर नाम: यूपी सरकार के फैसले पर जयंत चौधरी ने उठाये सवाल

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केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी ने कांवड यात्रा को लेकर यूपी सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा हैं कि कांवड यात्री जाति धर्म की पहचान करके सेवा नहीं लेता है. इस मुद्दे को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. बीजेपी ने ज्यादा समझकर फैसला नहीं लिया. बस फैसला ले लिया।

यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कांवड़ यात्रा के रास्तों पर दुकानदारों के नाम लिखवाने का फरमान जारी किया तो इसको लेकर राजनीति गर्म हो गई है। विपक्षी दलों के अलावा एनडीए के सहयोगी दलों ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई। इसमें एलजेपी से लेकर जेडीयू तक शामिल रहे। वहीं इस मुद्दे पर अब राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने भी बड़ा बयान दिया है और कहा है कि कांवड़ यात्रियों की सेवा सभी करते हैं और कोई किसी की पहचान नहीं करता है।

जयंत ने योगी सरकार के फैसले पर उठाए सवाल

कावड़ यात्रा और नेमप्लेट विवाद पर राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख और केंद्रीय मंत्र जयंत चौधरी ने रविवार को मीडिया से बात करते खुलकर योगी सरकार के इस फैसले की खिलाफत की. उन्होंने कहा कि, कावड़ ले जाने वाले या सेवादार की कोई पहचान नहीं होती है. धर्म या जाति की पहचान करके कोई सेवा नहीं लेता. इस मामले को धर्म और जाति से भी नहीं जोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि, ‘सब अपनी दुकानों पर नाम लिख रहे हैं मैकडॉनल्ड और बर्गर किंग क्या लिखेगा. सरकार ने यह फैसला ज्यादा सोच समझ कर नहीं लिया है.कहां-कहां नाम लिखे क्या अब कुर्ते में भी नाम लिखना शुरू कर दे क्या ताकि देख कर ये तय किया जा सके कि हाथ मिलाना है या गले लगाना है.’

अब सहयोगियों ने ही खोला मोर्चा

बीते दिनों उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कांवड़ रूट के दुकानों-ठेले वालों के लिए एक आदेश जारी किया था. आदेश में कहा गया है कि सभी दुकानों, ठेलों अपना नाम लिखें जिससे कांवड़ यात्री जान सके कि वो किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं. वहीं सरकार के इस फैसले के खिलाफ विपक्ष से लेकर सरकार के सहयोगियों ने भी मोर्चा खोल दिया है. जयंत चौधरी से पहले नीतिश कुमार की पार्टी ने भी योगी सरकार के इस फैसले की निंदा की थी. जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी फैसले पर एक बार फिर से समीक्षा करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी आदेश जारी नहीं किया जाना चाहिए, जिससे समाज में सांप्रदायिक विभाजन पैदा हो.