जिंदगी की जंग हार गए जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे, चीन जता रहा है खुशी

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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे जिंदगी की जंग हार गए हैं। शुक्रवार को पश्चिमी जापान के नारा शहर में एक चुनावी सभा में भाषण देते समय उन्हें गोली मार दी गई थी। आबे को विमान से अस्पताल ले जाया गया था जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। लेकिन अब खबर आ रही है कि शिंजो आबे का निधन हो गया है।

41 साल के आरोपी तेत्सुया यामागामी ने शिंजो आबे पर गोली चलाई थी जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। घटनास्थल से पुलिस ने एक हैंडमेड गन बरामद की थी।
खबरों के मुताबिक नारा शहर में सुबह 11:30 बजे जैसे ही आबे ने बोलना शुरू किया हमलावर ने उन पर दो गोलियां चलाईं। पुलिस ने बताया एक गोली उनके गले और दूसरी उनकी छाती में लगी।

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर हमले और उनकी मौत की खबर ने हर किसी को हिला दिया है। एक सुरक्षित और शांत देश पर पूर्व पीएम पर हमला असाधारण बात है। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा का कहना है कि आबे पर हमला बर्बरता की निशानी है और जिसने ये हमला किया है, उसे छोड़ा नहीं जाएगा।

इससे पहले आंखों में आंसू लिए किशिदा ने बताया था कि आबे की हालत नाजुक है। दूसरी तरफ चीन ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने इस मौके पर भी जापान के खिलाफ जहर उगला है और कहा कि हमले के बाद दक्षिणपंथी भड़क जाएंगे। आबे, दुनिया के वो नेता रहे हैं जिन्‍होंने हमेशा चीन को उसकी ही भाषा में जवाब दिया है।

चीन के लोग शुक्रवार को हुई घटना पर खुशी जता रहे हैं। वो हमलावर को हीरो करार दे रहे हैं। साल 2020 में जब पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी तो आबे दुनिया के पहले नेता थे, जिन्‍होंने साफ तौर पर चीन को इसके लिए जिम्‍मेदार ठहराया था। उन्‍होंने कहा था कि यह बात सच है कि कोरोना वायरस अक्‍टूबर 2019 में चीन के वुहान से निकला और अब पूरी दुनिया में फैल गया है।

चीन को उनके इस बयान से मिर्ची लगी थी। इसके अलावा वो हमेशा से ताइवान के समर्थन में आवाज उठाने वाले नेता रहे हैं। आबे ने चीन को दो टूक कहा था कि चीन को अपने पड़ोसियों को डराना बंद करना पड़ेगा और जमीन हथियाने की अपनी नीति को छोड़ना पड़ेगा।

उन्‍होंने ड्रैगन को आगाह किया था कि इतनी बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था की तरफ से अगर कोई मिलिट्री एक्‍शन लिया जाता है तो ये आत्‍मघाती कदम साबित होगा।

एशिया पैसेफिक पर चीन की हरकतों को रोकने की कोशिशों में पूरी दुनिया लगी रही। ये आबे ही थे जिन्‍होंने साल 2007 में ऑस्‍ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका के साथ मिलकर क्‍वाड की शुरुआत की। वो उसी समय चीन की नीतियों को भांप गए थे। वो जानते थे कि चीन कभी भी अपनी नीतियों को बदलेगा नहीं। जापान के पूर्व में स्थित सेनकाकू द्वीप पर चीन अपना हक जताता है। उसकी सेनाएं अक्‍सर यहां पर गश्‍त करती रहती हैं।

साथ ही साउथ चाइना सी की नीतियों से भी आबे परेशान थे। साल 2019 में जापान वो आंठवां देश था जो अपनी सेनाओं पर सबसे ज्‍यादा खर्च कर रहा था।

आबे को देश की सेनाओं के आधुनिकीकरण का श्रेय दिया जाता है। वो जब तक पद पर रहे, एक के बाद एक सुरक्षा रणनीतियों का ऐलान हुआ। इतना ही नहीं साल 2018 में एक डिफेंस प्‍लान आया जो 10 साल तक के लिए था।

जापान में आबेनॉमिक्‍स

शिंजो आबे देश के सबसे ज्‍यादा समय तक रहने वाले प्राइम मिनिस्टर रहे हैं। अर्थव्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाने के लिए उनकी नीतियों को ‘आबेनॉमिक्‍स’ नाम दिया गया है। दो बार के कार्यकाल में उन्‍होंने चीन को आर्थिक रूप से घेरने की कोशिशें की और सफल रहे। साल 2007 में उन्‍होंने पीएम पद से इस्‍तीफा दे दिया था।

साल 2011 में आई विनाशकारी सुनामी के बाद साल 2012 में उन्‍हें फिर से मौका मिला और वो देश के पीएम बने। इस बार उनके पास अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत करने का लक्ष्‍य था। आबे ने अपने इस कार्यकाल में युद्ध के बाद लगी बंदिशों को हटाया। इसके बाद जापान ने आर्थिक तरक्‍की की नई राह पकड़ी थी।

-एजेंसियां


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