अडानी ग्रुप जैसा घोटालेबाज ग्रुप आपको दूसरा नहीं मिलेगा…… अब देखिए दो दिन पहले ख़बर आई कि बांग्लादेश के बढ़ते दबाव के बीच अडानी की कंपनी ने बांग्लादेश को कम कीमत पर बिजली की सप्लाई देने का वादा कर दिया है, हालांकि मोदी सरकार ने 2017 में बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार पर दबाव डालकर महंगी बिजली खरीदने का समझौता कराया था लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों में अडानी खुद मुश्किल में आ गए अगर वे बिजली की कीमत कम नही करते तो सौदा रद्द हो जाता और अडानी बेहद मुश्किल में फंस जाते
लेकिन जब आप जानेंगे कि यही अडानी पॉवर यहां हरियाणा और गुजरात में राज्य की बीजेपी सरकारों से मिलकर कैसे कैसे खेल कर रही है तो आपकी आंखे आश्चर्य से चौड़ी हो जाएगी
पहले बात करते हैं हरियाणा की……. क्या आप जानते हैं कि 2007 में अडानी पावर ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की हरियाणा सरकार से करार किया था इस करार में स्पष्ट रुप से कहा गया था कि अडानी ग्रुप हरियाणा को 2 रुपये 94 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से 1424 मेगावाट बिजली सप्लाई करेगा ये समझोता 25 वर्षों के लिए था। बाकायदा बिजली खरीद समझौता (पीपीए) पर साइन भी हुए। और गुजरात के मुंद्रा से महेंद्रगढ़ तक अडानी पावर द्वारा बिजली की लाइन भी बिछाई गई।
लेकिन 2020 में अडानी ग्रुप ने हरियाणा को दी जाने वाली 1424 मेगावाट बिजली की सप्लाई बंद कर दी थी।
इस पर कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार को अडानी ग्रुप की वजह से प्रतिदिन 140 करोड़ 50 लाख रुपये की चपत लग रही है क्योंकी एग्रीमेंट के मुताबिक अडानी की ओर से प्रदेश को बिजली सप्लाई नहीं की जा रही है। ऐसे में सरकार को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की प्राइवेट कंपनियों ने महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ेगी
सुरजे वाला ने कहा कि अडानी पॉवर ने निश्चित दर पर 25 साल के लिए बिजली आपूर्ति का समझौता किया है और कुछ साल बाद उत्पादन लागत बढ़ने के नाम पर बिजली मंहगी करना चाहते हैं और इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में पराजित होने के बाद आप बिजली आपूर्ति बंद कर सकते हैं? इसका उत्तर नहीं है क्योंकि आपके समझौते में स्पष्ट उल्लेख है कि लागत बढ़ने का असर समझौते पर नहीं पड़ेगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि ईंधन की लागत में परिवर्तन, या समझौते को निष्पादित करने के लिए कठिन हो जाना, पीपीए के तहत ही अप्रत्याशित घटनाओं के रूप में नहीं माना जाता है। यह कारनामा अडानी पॉवर ने हरियाणा के साथ किया है और भाजपा की खट्टर सरकार पता नहीं किस भय से अडानी पॉवर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है और आश्चर्यजनक चुप्पी साध कर बैठी है।
सुरजेवाला ने बताया कि हरियाणा सरकार ने अडाणी से बिजली वापस लेने के बजाय तीन साल के लिए एमबी पावर, मध्य प्रदेश व आरकेएम पावर, छत्तीसगढ़ से 5.70 व 5.75 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदने का निर्णय लिया है जिससे हरियाणा को रोज बड़ा नुकसान हो रहा है
इतना ही नहीं जब गुजरात में विधान सभा चुनाव थे तब उल्टी सस्ती बिजली हरियाणा से गुजरात भेजी गईं
सुरजेवाला ने बताया कि नार्दर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक मुंद्रा (गुजरात), महेंद्रगढ़ (हरियाणा) की बिजली सप्लाई लाइन में 9 अप्रैल से 29 अप्रैल 2022 तक की रिपोर्ट में साफ है कि हर रोज औसतन 114 लाख यूनिट हरियाणा की बिजली गुजरात जा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अडाणी को दी जा रही बिजली के बदले प्रदेश को राशि भी नहीं मिल रही है
अब गुजरात मे क्या गुल खिलाए अडानी ने ये भी समझ लीजिए !
हरियाणा के जैसे ही गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) ने 2007 में अडानी पावर के साथ 2.89 रुपये और 2.35 रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
लेकिन जब इंडोनेशिया से आयात होने वाले कोयले की कीमत बढ़ गई तो गुजरात सरकार ने अडानी को फायदा पुहचाने के लिए अपने यहां बिजली की कीमतों में बढ़ोत्तरी कर दी
सरकार द्वारा अडाणी पावर लिमिटेड (एपीएल) के साथ अपने बिजली खरीद से जुड़े संशोधित समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए
तर्क दिया गया कि हमने महंगी बिजली नहीं खरीदी तो एसबीआई को बहुत नुकसान होगा क्योंकि उन्होंने पॉवर कंपनियों को लोन बांटे है वे दिवालिया हो जाएंगे
गुजरात विधानसभा में यह मसला उठाते हुए कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने कोयले की बढ़ी हुई दरों की आड़ में अडाणी पावर लिमिटेड को लाभ पहुंचाया है। जिसकी वजह से उसे 2,178 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया हैं
साफ़ नज़र आ रहा है कि बिना मोदी के सहयोग के ऐसे घोटाले हो ही नही सकते है लेकिन जब भक्तों की आंखों पर पट्टी बंधी हो तो उन्हें कितना भी बताओ उन्हे समझ ही नही आता
-साभार सहित गिरीश मालवीय जी की fb पोस्ट से