पाषाण काल में लिखने के लिए पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता था जिनकी लिपि आज भी शोधकर्ताओं के लिए एक रहस्य बनी हुई है। इसी तरह करीब 2300 ई.पू. से लेकर 1800 ई.पू. के बीच आज के दक्षिणी ईरान में एक रहस्यमय लिपि का इस्तेमाल होता था जिसे Linear Elamite कहा जाता था। माना जा रहा है कि इस लिपि के रहस्य को सुलझा लिया गया है, हालांकि कुछ विशेषज्ञ इन निष्कर्षों से असहमत हैं। वर्तमान में लीनियर एलामाइट के सिर्फ 40 ज्ञात उदाहरण मौजूद हैं जिससे इस लिपि को समझना और मुश्किल हो गया था। लेकिन शोधकर्ताओं को कहना है कि उन्होंने काफी हद तक इसे सुलझा लिया है।
यह रिसर्च पेपर जुलाई में एक जर्मन जर्नल में प्रकाशित हुआ था। रिसर्च टीम ने पेपर में लिखा कि 300 से अधिक लीनियर एलामाइट चिन्ह अलग-अलग ध्वनियों के प्रतीक हैं, जैसे अर्धचंद्राकार चिन्ह ‘पा’ ध्वनि का प्रतीक है। लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, टीम ने अपने शोध में अनुवाद किया, ‘Puzur-Sušinak, king of Awan, Insušinak loves him’ जिसका मतलब है- ‘पुजुर-सुसिनक, अवन के राजा, इंसुसिनक उनसे प्यार करते हैं’।
विद्रोह करने वालों को ‘खत्म’ कर दिया जाना चाहिए
शोधकर्ताओं ने कहा कि पत्थरों पर लिखा था कि जो भी पुजुर-सुसिनक के खिलाफ विद्रोह करता है उसे ‘खत्म’ कर दिया जाना चाहिए। पत्थरों पर लिखी लिपि के और अनुवाद आने वाले समय में पब्लिश किए जाएंगे। शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि अन्य चिन्हों का क्या मतलब है। हालांकि लिपि के करीब 3.7 फीसदी चिन्ह पढ़ने में नहीं आ रहे हैं। कुछ एक्सपर्ट इन निष्कर्षों से असहमत हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में असीरियोलॉजी के प्रोफेसर जैकब डाहल ने लाइव साइंस से कहा कि यह साफ नहीं है कि टीम ने सफल खोज की है।
प्रोफेसर ने उठाए सवाल
डाहल ‘प्रोटो-एलामाइट’ नामक एक स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं। वह नए शोधकर्ताओं के उस बयान से असहमत हैं जिसमें कहा गया था कि प्रोटो-एलामाइट और लीनियर एलामाइट लगभग एक जैसे हैं। अभी स्पष्ट नहीं है कि शोध में इस्तेमाल की गई कलाकृतियों को कानून रूप से हासिल की गई थीं या नहीं। पहले भी कुछ रिसर्च टीम लीनियर एलामाइट को पढ़ने में कामयाब हो चुकी हैं।
-एजेंसी