भारत को दुनिया की फार्मेसी कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि भारत दुनिया के कई देशों को दवाएं एक्सपोर्ट करता है। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने कई देशों को मुफ्त में वैक्सीन की सप्लाई की थी। अगर दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश और सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका का बात करें तो वहां के फार्मा बाजार में भारत का एकछत्र राज है।
अमेरिका की कुल जरूरत की 40% जेनरिक दवाओं की आपूर्ति भारत से होती है। US Pharmacopoeia Medicine Supply Map के मुताबिक देश में जिन कंपनियों के 10 से ज्यादा एक्टिव एपीआई प्रॉडक्ट्स को मंजूरी मिली है, उनमें सबसे ज्यादा भारत की हैं। इस मामले में दूर-दूर तक कोई भी भारत के टक्कर में नहीं है।
भारत की 183 कंपनियों की दस से ज्यादा दवाओं को अमेरिका में मंजूरी मिली हैं। इस मामले में यूरोपियन यूनियन यानी ईयू दूसरे नंबर पर है। वहां की 83 कंपनियों को अमेरिका में मंजूरी मिली है। चीन तीसरे नंबर पर है।
चीन की 35 कंपनियों को अमेरिका में दस से ज्यादा प्रॉडक्ट्स बेचने की मंजूरी मिली है। बाकी सब देशों की बात करें तो उनकी 22 कंपनियों को अमेरिका में यह फैसिलिटी मिली है। इस तरह ईयू, चीन और दूसरे देशों को जोड़ लिया जाए तो उनकी कंपनियों की संख्या 159 बैठती है। यह संख्या भारत से काफी कम है।
दुनिया की फार्मेसी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में दावा किया था कि भारत वर्ल्ड क्लास दवाओं का उत्पादन करता है और यही वजह है कि उसे दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है। अफ्रीका में जेनरिक दवाओं की कुल मांग का 50% भारत से जाता है। इसी तरह अमेरिका की कुल जरूरत की 40% और ब्रिटेन की 25% जेनरिक दवाओं की आपूर्ति भारत करता है।
भारत दुनिया की कुल वैक्सीन का 60% और डब्ल्यूएचओ के अनिवार्य टीकाकरण अभियान में लगने वाली कुल वैक्सीन का 70% उत्पादन करता है। भारत ने कोरोना महामारी के दौरान 70 देशों को वैक्सीन की करीब 5.84 करोड़ डोज भेजी थी।
-एजेंसी
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