अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हम भारत में कुछ कानूनी कार्यवाही के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हैं। कूटनीति में हम यह अपेक्षा करते हैं कि दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करें। साथी लोकतंत्रों के मामले में यह जिम्मेदारी और भी अधिक है। भारत ने आगे कहा कि यह परंपरा सही नहीं है। इसका गलत उदाहरण स्थापित हो सकता है।
यही नहीं, अमेरिका के मिशन की कार्यवाहक उप प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को भी तलब किया गया है। भारत ने अमेरिका को साफ लहजे में कहा कि इस तरह से बयान गलत परंपरा विकसित कर रहे हैं। भारत ने कहा कि भारत की कानूनी प्रक्रियाओं और न्यायपालिका पर इस तरह की बयानबाजी सही नहीं है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा कि भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं जो वस्तुनिष्ठ और समय पर परिणामों के लिए प्रतिबद्ध है। उस पर आक्षेप लगाना अनुचित है। इसके अलावा दिल्ली में अमेरिका के मिशन की कार्यवाहक उप प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को तलब किया। यह बैठक लगभग 40 मिनट तक चली।
जर्मनी के बाद अमेरिका भी कूद पड़ा
इस मसले पर दो दिन पहले जर्मनी की ओर से भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। उस वक्त जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा था कि हमने इस बात को नोट किया है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। हम ये मानते हैं और आशा करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े मानक और बेसिक लोकतांत्रिक मूल्यों को इस केस में भी लागू किया जाएगा। जिस तरह कोई भी आरोपों का सामना करता है, केजरीवाल भी एक निष्पक्ष ट्रायल के हकदार हैं। जिसके तहत वो बिना किसी प्रतिबंध के लीगल रास्तों का इस्तेमाल करने के हकदार हैं।
दोषी साबित होने से पहले सभी को बेकसूर मानने का अनुमान कानून के शासन के केंद्र में हमेशा होता है। इसे इस केस पर लागू किया जाना चाहिए। इस बयान को लेकर भारत ने कड़ा ऐतराज दर्ज कराया था। इस मसले पर शनिवार को जर्मन दूतावास के उप प्रमुख जॉर्ज एनजवीलर को भारतीय विदेश मंत्रालय ने समन भी किया था।
भारत ने जर्मन डिप्लोमैट से सख्त लहजे में कहा था कि वो इसे देश की न्यायिक प्रणाली में दखल के तौर पर देखता है। इस पूरे मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए बताया था कि भारत ने जर्मन विदेश मंत्रालय की हालिया टिप्पणी को लेकर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने इस प्रेस नोट के जरिए ये भी कहा था कि हम ऐसे बयानों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया के में दखल और देश की न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम आंकने के तौर पर देखते हैं।
भारत कानून के शासन वाला एक जीवंत और मजबूत लोकतांत्रिक देश है। जिस तरह हमारे देश और दुनिया के दूसरे लोकतांत्रिक देशों में लीगल केसों में होता है, इसमें भी कानून अपना काम करेगा। इसे लेकर पक्षपातपूर्ण धारणाएं बनाना अनुचित है। बता दें कि गुरुवार देर रात ईडी ने दिल्ली शराब नीति केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था।
दरअसल, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी के बाद अमेरिका भी भारत को ज्ञान दे रहा था। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर ‘निष्पक्ष, समयबद्ध और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया’ की बात कह रहा था। अमेरिका को अब भारत ने करारा जवाब दिया है।
-एजेंसी
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