पूर्वी लद्दाख में चीन का सामना करने के लिए भारतीय सेना ने किए नये सुरक्षा इंतज़ाम

National

ख़बर के मुताबिक़ भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में हथियारों के संग्रहण के लिए भूमिगत ठिकाने बनाने के साथ-साथ 22 हज़ार सैनिकों के ठहरने के लिए इंतज़ाम किए हैं.
इसके साथ ही सेना पुलों को मजबूत कर रही है ताकि मौका पड़ने पर उनसे भारी वजन वाले सैन्य वाहन गुज़र सकें. भारतीय सेना इस तरह के स्थाई इंतज़ाम भी कर रही है जिनसे चीनी टैंकों के सीधे हमलों का सामना किया जा सके.

निजी कंपनियों की मदद से तैयार किए गए इन इंतज़ामों को कुछ दिनों के अंदर ही मोर्चों पर तैनात किया जा सकता है. इनमें 3डी प्रिंटेड ढांचे भी शामिल हैं जिनका वजन लगभग चालीस किलोग्राम होगा और दो सैनिक इन ढांचों को लेकर ऊंचे स्थानों पर जा सकते हैं.

अख़बार को सूत्रों से पता चला है कि इन चीजों को गांधीनगर, बेंगलुरु और हैदराबाद स्थित कंपनियों ने बनाया है. इसके साथ ही आर्मी कॉर्प्स ऑफ़ इंजीनियर्स ने भी इन डिफेंसेज़ को बनाने पर काम किया है.

सूत्र ने कहा है, “आईआईटी गांधीनगर में बने स्टार्टअप और हमने 3डी प्रिंटेड डिफेंस पर काफ़ी काम किया है. ये ऐसे डिफेंसेज़ हैं जो 100 मीटर की दूरी से भी एक टी90 टैंक का सीधा हमला झेल सकते हैं. इस समय उत्तरी सीमा पर ट्रायल जारी हैं और हम अगले साल तक इन्हें इंस्टॉल करना शुरू करेंगे.”

बता दें कि सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को भी ऐसी ही जानकारी दी है.

सूत्र ने बताया है कि ‘गलवान के बाद दो सालों में 22 हज़ार सैनिकों के ठहरने के लिए इंतज़ाम किए गए हैं. ये सबसे लेटेस्ट मॉड्यूलर सिस्टम हैं जिनमें तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है और ज़रूरत पड़ने पर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया सकता है.’

इसके साथ ही लद्दाख़ में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में लगने वाले समय को कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है. आर्मी कॉर्प्स ऑफ़ इंजीनियर्स इस समय एयरफ़ील्ड्स को बेहतर बनाने के साथ ही न्योमा में नया रनवे बना रही है.

सूत्रों ने बताया है कि नयी सड़कें बनने के बाद लेह से रणनीतिक रूप से अहम दौलत बेग ओल्डी एयरफ़ील्ड तक पहुंचने में लगने वाला समय दो से घटकर छह घंटे रह गया है.

इसके साथ ही लद्दाख़ को शेष भारत से बेहतर ढंग से जोड़ने के लिए सड़क परियोजनाओं और सुरंगों पर काम जारी है.

Compiled: up18 News