भारत ने कहा, अब भी उपनिवेशवाद की सोच से चल रही है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

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यूएनएससी की मौजूदा संरचना दुनिया की हकीकतों से परे

गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर एक राउंडटेबल चर्चा का आयोजन किया गया। इस चर्चा का आयोजन भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, सेंट विंसेंट और ग्रेनाडा के डिप्लोमैट शामिल हुए। बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मौजूदा संरचना आज की बहु-ध्रुवीय और आपस में जुड़ी हुई दुनिया की हकीकतों से परे है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की मांग

कंबोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद का गठन एक अलग युग में हुआ था और यह नई ताकतों के उभार को प्रतिबिंबित नहीं करती है। आज जब भूराजनैतिक परिदृश्य बदल रहा है तो देश ज्यादा समान और निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था चाहते हैं। कंबोज ने कहा कि आज अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियां दुनिया के सामने हैं, ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की जरूरत है। जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, आपदा और मानवीय संकट के चलते एकजुट होकर जिम्मेदारी से कदम उठाने की जरूरत है। कंबोज ने सभी देशों से अपील की कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए प्रयास करें।

कुछ देश कर रहे मौजूदा दुनिया का प्रबंधन’

भारत के शीर्ष थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सरन ने कहा कि इस बात का समर्थन नहीं किया जा सकता कि आज की बहु ध्रुवीय दुनिया में, पिछली सदी के युद्ध में जीते कुछ देश आज भी दुनिया का प्रबंधन करें।

उन्होंने कहा कि युद्ध इतिहास की बात है और उसी तरह कुछ देशों का प्रभाव और क्षमताएं भी बीते दिनों की बात हो चुकी है। सुरक्षा परिषद का मौजूदा ढांचा अनैतिक है। सरन ने कहा कि युद्ध का बोझ उपनिवेशी देशों ने झेला और उसका फायदा उपनिवेश बनाने वाले देशों को मिला।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं। इनमें अमेरिका, फ्रांस, चीन, रूस और ब्रिटेन शामिल हैं। 15 देशों की परिषद में अन्य देश अस्थायी सदस्य होते हैं और वह बदलते रहते हैं।

Compiled: up18 News