तेजस LCA इंजन की सप्लाई में देरी के बाद भारत ने अमेरिकी एयरो-इंजन निर्माता जनरल इलेक्ट्रिक पर लगाया जुर्माना

Exclusive

भारतीय वायुसेना को इस देरी से परेशानी हुई है क्योंकि एलसी तेजस इससे अधर में लटक गया है। वहीं रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में अमेरिका की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं। अमेरिका से मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट पर भी भारत की बात मुश्किल दिख रही है।

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि भारत अमेरिकी लड़ाकू जेट का विकल्प चुनने से बचता रहा है, इसकी वजह लंबे समय से चल रहा अविश्वास है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय वायुसेना के बेड़े में अमेरिकी हेलीकॉप्टर और परिवहन विमान शामिल हुए लेकिन अभी तक अमेरिकी लड़ाकू जेट को शामिल नहीं किया है। फिलहाल भारत की अमेरिका से 114 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) पर बात चल रही है।

2021 और 2023 में हुए थे समझौते

अमेरिकन कंपनी लॉकहीड मार्टिन F-16 का एडवांस वर्जन F-21 पेश कर रही है। बोइंग ने F/A-18 ब्लॉक III सुपर हॉर्नेट और F-15 EX की पेशकश की है। इसके अलावा भारत के पास फ्रांसीसी राफेल और स्वीडिश JAS-39 ग्रिपेन का भी विकल्प है। वायुसेना को 126 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के रूप में पिछली बार भारत ने फ्रांस के राफेल को चुना था।
भारत फाइटर जेट स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रहा है। भारत के पास केवल 31 फाइटर जेट स्क्वाड्रन हैं, जबकि 42 स्क्वाड्रन होने चाहिए। सरकार ने 114 MRFA (मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) के लिए एयरफोर्स की आवश्यकता को माना है। भारत इन जेट्स की खरीदारी को लेकर उत्सुक है लेकिन चीजें फाइनल होती नहीं दिख रही हैं। भारत को अमेरिका से एयरक्राफ्ट मिलने पर अभी कुछ तय नहीं है।

विमान इंजन मिलने में देरी से चीजें खराब हुईं!

अगस्त 2021 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने अमेरिकन कंपनी जीई के साथ 99 F404 विमान इंजन और LCA-Mk-1A के लिए 716 मिलियन डॉलर का सौदा किया। 2023 में दोनों देशों ने 98 किलो-न्यूटन थ्रस्ट GE-414 इंजन बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो एलसीए MKII को मजबूत करेंगे। जीई एयरो-इंजन के लिए सौदे को दोनों देशों के बीच साझेदारी में एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा गया था। हालांकि अब इसको दो साल हो गए हैं और अभी तक एक भी इंजन भारत को नहीं मिल सका है।

भारत और अमेरिका के हथियार डील का इतिहास अच्छा नहीं रहा है। भारत ने 1962 में चीन से लड़ाई के दौरान पहली बार लड़ाकू विमानों के लिए अमेरिका से संपर्क किया था लेकिन उसे विमान नहीं मिले। इसके बाद अमेरिका में 1965 में पाकिस्तान को जेट देकर मदद की। वहीं भारत ने 1962 के बाद रूस से हथियार खरीदने शुरू किए, जो सिलसिला आज तक जारी है। भारत के संबंध बीते कुछ वर्षों में अमेरिका से सुधरे हैं लेकिन कई सवाल अभी भी हैं।


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.