दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) फाइल करके मांग की गई है कि राष्ट्र गीत ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्र गान ‘जन गण मन’ के बराबर सम्मान दिया जाए। भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह गीत खूब गाया जाता था। कोर्ट से मांग की गई है कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे की स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों में रोज राष्ट्रगान के साथ ‘वंदे मातरम्’ भी गाया या बजाया जाए।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि 24 जनवरी 1950 को मद्रास कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का पालन किया जाए। याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि सभी भारतीयों का कर्तव्य है कि वे ‘वंदे मातरम्’ गाएं और देश की अखंडता को बनाए रखें। इसके अलावा सरकार का भी यह दायित्व है कि वह जन गण मन और ‘वंदे मातरम्’ को समान रूप से प्रमोट करें।
उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ से किसी की भावनाएं आहत होने का सवाल नहीं है क्योंकि संविधान निर्माताओं ने इसे सम्मान देने की बात कही थी। याचिका में कहा गया, ‘जन गण मन में एक राष्ट्र को ध्यान में रखते हुए भावनाएं व्यक्त की गई हैं वहीं ‘वंदे मातरम्’ में देश के चरित्र की बात की गई है इसलिए दोनों को समान दर्जा मिलना चाहिए।’
याचिका में कहा गया है कि कई ऐसी परिस्थितियां भी होती हैं जब ‘वंदे मातरम्’ गाने पर आपत्ति जाहिर की जाती है लेकिन यह सभी भारतीयों का दायित्व है कि ‘वंदे मातरम्’ जब भी गाया जाए तो उसका सम्मान करें। जब भारत को स्वतंत्रता दिलाने लिए आंदोलन चल रहा था तब ‘वंदे मातरम्’ पूरे देश का विचार और मोटो बन गया था। लोग ‘वंदे मातरम्’ गाते हुए जुलूस निकालते थे।
-एजेंसियां