पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अब एक मजहबी मामले में भी फंस गए हैं। इस्लामाबाद की एक अदालत में उनके खिलाफ गैरकानूनी और गैरइस्लामी तरीके से निकाह का केस चलेगा। खान और उनकी तीसरी पत्नी बुशरा बीबी पर आरोप है कि उन्होंने निकाह के दौरान इस्लामिक रूल्स को फॉलो नहीं किया।
अदालत में केस दायर करने वाले शख्स का आरोप है कि बुशरा ने पहले पति को तलाक देने के बाद तय वक्त या दिन पूरे नहीं किए। इसे पीरिएड को इद्दत कहा जाता है। पहले इस केस को सिविल कोर्ट ने सुनने से इनकार कर दिया था। अब यह क्रिमिनल कोर्ट में चलेगा।
दो कोर्ट और दो फैसले
इमरान और बुशरा के निकाह को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। पाकिस्तान के टीवी चैनलों पर इस मुद्दे पर कई प्रोग्राम भी हुए। कुछ महीने पहले मोहम्मद हनीफ नाम के एक शख्स ने इस्लामाबाद की सिविल कोर्ट में एक पिटीशन दायर की। इसमें कहा गया कि इमरान और बुशरा का निकाह जायज नहीं है। इसकी वजह यह बताई गई कि बुशरा ने पहले पति खावर मानेका से तलाक लेने के कुछ दिन बाद ही इमरान से निकाह कर लिया।
बुशरा पर आरोप है कि उन्होंने मजहबी तौर पर जरूरी इद्दत पूरी नहीं की। इद्दत दरअसल, तलाक के बाद दूसरी शादी करने के बीच की एक तय मियाद होती है। सिविल कोर्ट ने इस पिटीशन को सुनवाई के लायक ही नहीं माना और पिटीशन खारिज कर दी।
हनीफ यही पिटीशन इस्लामाबाद के एडिश्नल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज की अदालत के सामने ले गए। यहां जज मोहम्मद आजम खान ने इस पर सुनवाई की मंजूरी दे दी।
पाकिस्तान के अखबार ‘द न्यूज’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- हनीफ ने पिटीशन में कहा है कि बुशरा ने पहले पति को तलाक नवंबर 2017 में दिया और इमरान से निकाह 1 जनवरी 2018 को किया। यानी इद्दत पूरी नहीं हुई लिहाजा बुशरा और इमरान का निकाह शरिया कानून और मुस्लिम मान्यताओं के खिलाफ है।
सबूत भी पेश किए
हनीफ ने कोर्ट के सामने इमरान-बुशरा का निकाह कराने वाले मुफ्ती मोहम्मद सईद और खान के पूर्व करीबी दोस्त ओन चौधरी के दो बयान भी पेश किए।
कोर्ट ने कहा– निकाह लाहौर में हुआ था इसलिए इसकी सुनवाई भी वहीं की अदालत में होगी। इस पर पिटीश्नर ने कहा- निकाह के फौरन बाद इमरान और बुशरा इस्लामाबाद शिफ्ट हो गए थे इसलिए ये केस भी अब यहीं चलना चाहिए। ओन चौधरी पहले खान के करीबी दोस्त थे। बाद में खान ने ओन को पार्टी से निकाल दिया और अब वो एक नई पार्टी में हैं। ओन भी इमरान के निकाह को गैरकानूनी करार दे चुके हैं।
पिटीश्नर के वकील राजा रिजवान अब्बासी ने कहा– कानून की धारा 179 के मुताबिक, इस तरह के केस कहीं भी चलाए जा सकते हैं। इसलिए लाहौर या इस्लामाबाद से कोई फर्क नहीं पड़ता। इसके बाद कोर्ट ने केस की सुनवाई को मंजूरी दे दी।
Compiled: up18 New