Down Syndrome बच्चों में जन्मजात होने वाली गंभीर बीमारियों में से एक है। पीड़ित बच्चों का शारीरिक, मानसिक विकास सामान्य बच्चों की तरह नहीं होता। ऐसे में बच्चे को उत्साहित रखेंगे तो उनका Down Syndrome में रहेगा। यह बीमारी भ्रूण में क्रोमोजोम की मात्रा अधिक होने से होता है। बच्चों का विकास शारीरिक विकृतियों से होता है।
क्रोमोजोम की असमानता से होता है Down Syndrome
गुड़गांव के सिविल हॉस्पिटल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि बताती हैं कि Down Syndrome एक आनुवंशिक समस्या है, जो क्रोमोजोम की वजह से होती है। गर्भावस्था में भ्रूण को 46 क्रोमोजोम मिलते हैं, जिनमें 23 माता व 23 पिता के होते हैं लेकिन डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चे में 21वें क्रोमोजोम की एक प्रति ज्यादा होती है, यानि उसमें 47 क्रोमोजोम पाए जाते हैं, जिससे उसका मानसिक व शारीरिक विकास धीमा हो जाता है।
बच्चों का ठीक से नहीं हो पाता है विकास
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार बताते हैं कि डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों में लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। ऐसे बच्चों की मांसपेशियां कम ताकतवर होती हैं। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों की ताकत बढ़ती रहती है लेकिन सामान्य बच्चों की तुलना में बैठना, चलना या उठना सीखने में ज्यादा समय लेते हैं। बौद्धिक, मानसिक व शारीरिक विकास धीमा होता है।
ये है डाउन सिंड्रोम की पहचान
कई बच्चों के चेहरे पर अजीब से लक्षण दिखते हैं, जैसे कान छोटा होना, चेहरा सपाट होना, आंखों का तिरछापन, जीभ बड़ी होना आदि। बच्चों की रीढ़ की हड्डी में भी विकृत हो सकती है। कुछ बच्चों को पाचन की समस्या भी हो सकती है तो कई बच्चों को किडनी संबंधित परेशानी हो सकती है। इनकी सुनने-देखने की क्षमता कम होती है।
सकारात्मक रवैये से जी सकते हैं सामान्य जीवन
वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ और सिविल सर्जन डॉ. ब्रह्मदीप सिंधू बताते हैं कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित रोगी के लिए परेशानियां कई होती हैं, लेकिन अभिभावक बच्चे को उत्साहित करें तो कम हो सकती हैं। ऐसे बच्चे के प्रति सकारात्मक रवैया रखें। बच्चे के पोषक तत्वों पर भी ध्यान देना चाहिए। ऐसे बच्चों को ज्यादा सुरक्षित घेरे में न रखें।
-एजेंसियां
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