IAS कोच विकास दिव्यकीर्ति ने रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ को अश्लील बताया

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दरअसल, उन्होंने कहा, ‘एनिमल जैसी फिल्म हमारे समाज को 10 साल पीछे ले जाती है। ऐसी फिल्म नहीं बननी चाहिए। आपने पैसा कमाया। आपने दिखाया कि आपका हीरो एक जानवर की तरह व्यवहार करता है। कुछ सोशल वैल्यू होनी चाहिए, या लोग केवल पैसों के लिए काम कर रहे हैं?’ विकास दिव्यकीर्ति ने विशेष रूप से एक सीन के बारे में बात की, जिसमें रणबीर कपूर का किरदार तृप्ति डिमरी के किरदार को उसके प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए अपना जूता चाटने के लिए कहता है।

‘एनिमल’ के बारे में विकास दिव्यकीर्ति बोले

विकास दिव्यकीर्ति ने कहा, ‘फिल्म देखने के बाद, क्या होगा अगर कुछ लड़के जो एक दूसरी मानसिकता वाले हैं और इतने परिपक्व नहीं हैं, वो अपनी प्रेमिका को जूता चाटने के लिए कहकर अपने प्यार का टेस्ट कराएंगे तो तब क्या होगा? इतनी फूहड़ और बदतमीज फिल्म हम बना रहे हैं तो यह बहुत दुखद है।’ वहीं, एक्टर सिद्धार्थ, जिनकी हाल ही में अदिति राव हैदरी संग सगाई हुई है। उन्होंने इस मूवी पर कटाक्ष किया था। उन्होंने अपनी फिल्म ‘चिट्ठा’ के बारे में एक कार्यक्रम में बात की थी। उनकी मूवी में समाज में बाल शोषण के मुद्दे को उठाया गया था।

एक्टर सिद्धार्थ ने भी किया था ‘एनिमल’ पर कटाक्ष

जब लोगों ने इसे परेशान करने वाली फिल्म बताया तो एक्टर ने बिना नाम लिए रणबीर की मूवी Animal का जिक्र किया। कहा कि किसी भी महिला ने आकर उनसे या फिर डायरेक्टर अरुण से नहीं कहा कि वो ‘चिट्ठा’ नहीं देख सकते। या फिर ये परेशान करन वाली है। लेकिन ये बात कई पुरुषों ने जरूर कही और बोले कि ऐसी फिल्में वह नहीं देख सकते। ‘लेकिन वो मिरुगम (तमिल में जानवर को कहते हैं) जैसी फिल्में देख सकते हैं। लेकिन मेरी फिल्में उन्हें परेशान करने वाली लगती हैं। ये बहुत ही शर्मनाक है लेकिन ठीक भी है। जल्द ही सब बदलेगा।’

जावेद अख़्तर बता चुके हैं समाज के लिए ‘ख़तरनाक’ ट्रेंड

वरिष्ठ गीतकार जावेद अख़्तर ने निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म एनिमल की व्यावसायिक सफलता को समाज के लिए ‘ख़तरनाक’ ट्रेंड बताया है.

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जावेद अख़्तर ने बिना इस फिल्म का नाम लिए हुए कहा कि परेशान करने वाले दृश्यों वाली फिल्मों का सफल होना अच्छा नहीं है.

उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि आज की घड़ी युवा फिल्मकारों के लिए परीक्षा की है, वो इसलिए कि वो किस तरह का चरित्र गढ़ें कि समाज उसे सराहे.”

अख़्तर के अनुसार, “उदाहरण के लिए यदि किसी फिल्म में कोई आदमी किसी औरत से कहे कि वो उसके जूते चाटे या आदमी किसी औरत को थप्पड़ मारने को ठीक कहे और वो फ़िल्म सुपर डुपर हिट हो, तो कहना चाहिए कि ये समाज के लिए खतरनाक है.”

-एजेंसी


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