मैं लोगों की मुस्कुराहट को कैमरे में कैद करना चाहता हूं

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“मैं लोगों की मुस्कुराहट को कैमरे में कैद करना चाहता हूं”. आजकल लोगों ने मुस्कुराना कम कर दिया है. लेकिन Sheru photographer की नजरों से मुस्कुराता हुआ आदमी बच नहीं सकता. दरअसल आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे सिनेमैटोग्राफर /फोटोग्राफर / लेखक और फिल्म मेकर के बारे में, जो प्लास्टिक के कैमरे से खेला करते थे, और आज मात्र 22 साल की उम्र में मुजफ्फर अली जैसे कहानीकार, चित्रकार और डायरेक्टर पर डॉक्यूमेंट्री बना दी। बता दें कि यह वही मुजफ्फर अली हैं जिन्होंने उमराव जान जैसी प्रसिद्ध फिल्म बनाई है। हम उम्मीद करते हैं कि शेरू फोटोग्राफर से जुड़े हुए जिन भी प्रसंगो की चर्चा आज हम करेंगे उनसे आप काफी प्रभावित होंगे और आपको इससे प्रेरणा भी मिलेगी।

शेरू का जन्म 02 फरबरी 2001 दिल्ली के ही एक गरीब परिवार में हुआ है। आर्थिक स्थितियां सही ना होने के कारण, और पारिवारिक द्वेष के कारण शेरू को बचपन से ही मेहनत करनी पड़ी। शेरू ने बात करते समय बताया कि बचपन में उन्होंने सड़क पर बोतल इकट्ठा करने का काम भी किया है। शेरू अकेले नहीं है, उनके साथ उनके माता-पिता और उनकी चार बहने भी हैं। उन्हें खुद से ज्यादा अपने बहनों की भविष्य की भी काफी चिंता रहती है। इसीलिए परिवार के सबसे बड़े बेटे होने की वजह से, बहुत कम उम्र में ही खुद से शेरू ने काम करना शुरू कर दिया था। इसके अलावा शेरू ने बहुत कम उम्र से ही सड़क के चौराहों पर packed water बेचने का काम भी शुरू किया। जिससे वह अपनी और अपनी बहनों के लिए उम्मीदों जोड़ रहे थे।

NGO से मिली नई उम्मीदें

इसी बीच एक नामी-गिरामी NGO – butterflies से शेरू फोटोग्राफर की मुलाकात हुई। इस संगठन में शेरू ही की तरह और बहुत सारे बच्चे एक साथ रहते थे। जहां पर शेरू ने primary education के अंतर्गत एडमिशन लेकर शिक्षा के जगत में पहला कदम रखा। इसके बाद शेरू ने लगातार अपनी पढ़ाई जारी रखी और 10वीं तथा 12वीं कक्षा तक की शिक्षा दिल्ली के ही सरकारी विद्यालयों से प्राप्त करी। कक्षा 11 में पढ़ते समय ही शेरू के ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई गई जिसका नाम Say Cheese है। इस डॉक्यूमेंट्री ने फिल्मी जगत में अवार्ड भी जीते। जिसमें शेरू के जीवन के विभिन्न पहलुओं को बहुत ही मार्मिक तरीके से दर्शाया गया था। आप इंटरनेट पर Say Cheese Sheru लिखकर इस डॉक्यूमेंट्री को सर्च कर सकते हैं।

12 के बाद क्या करें?

आमतौर पर बच्चों और उनके अभिभावकों को पहले से यह सोच कर रखना पड़ता है कि उनके बच्चे को भविष्य में किस फील्ड में काम करना है। इसके लिए माता पिता और बच्चे आपस में मिलकर ऐसा कोर्स सिलेक्ट करते हैं जिससे उन्हें एक अच्छा रोजगार उपलब्ध हो। लेकिन शेरू के साथ ऐसा नहीं था। शेरू को आगे का सफर ना केवल खुद तय करना था बल्कि अकेले तय करना था। दरअसल ngo केवल 18 साल तक के बच्चों के साथ ही कार्य करते हैं। ऐसे में शेरू को ना केवल यह देखना था कि आगे उन्हें क्या कोर्स सेलेक्ट करना है, बल्कि उन्हें इसकी भी ज्यादा फिक्र थी कि अब वह कहां रहेगा? उसकी बहनों का भविष्य क्या होगा? माता-पिता कब तक सड़क पर ही? ऐसे में शुरू की मुलाकात हुई Carrot films कंपनी से। बता दें कि यह वही फिल्म प्रोडक्शन हाउस है जिसकी संचालक ईशानी दत्ता है। इन्होंने ही शेरू के ऊपर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी। शेरू ने 12वीं के बाद इन्हीं की कंपनी में जुड़ कर film making के क्षेत्र में पहला कदम रखा।

बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक रहा

साथ ही साथ आपको यह भी बता दें कि शेरू को बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक था। आप इंटरनेट पर sheru के बचपन के फोटो देखेंगे तो आपको उनके गले में लटका हुआ प्लास्टिक के कैमरे का फोटो भी दिख जाएगा। शेरू बचपन से ही उस कैमरे को अपने साथ लेकर जाते। हालांकि एक खिलौने वाला कैमरा था। इसके अलावा Ngo के अंदर भी शेरू अपने caretakers से उनका मोबाइल लेकर फोटो क्लिक किया करते थे। शेरू पर बनी डॉक्यूमेंट्री की प्रसिद्धि और सफलता के बाद फिल्म निर्माताओं ने शेरू को एक असली का कैमरा भी दिया। इसके बाद क्या था। योद्धा को उसकी तलवार मिल गई। शेरू ने उससे खूब फोटो क्लिक करने शुरू किए। इन्हें कैमरो से खेलते खेलते शेरू ने carrot films के अंदर सिनेमैटोग्राफी की समझ हासिल करी।

आज प्रोफेशनल सिनेमैटोग्राफर है शेरू

अपने फिल्म मेकिंग के करियर में शेरू ने काफी जानी-मानी हस्तियों के साथ काम किया। कई राष्ट्रीय नेताओं के इंटरव्यू, विभिन्न टॉपिक पर देश के अलग-अलग हिस्सों की डॉक्यूमेंट्री फिल्म, आदि के लिए शेरू ने कंपनी में रहते हुए काम किया। हाल ही में शेरू माशा आर्ट के लिए, उमराव जान के निर्माता मुजफ्फर अली की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने में काम किया।

सोशल मीडिया पर sheru photography के नाम से पेज है

कंटेंट क्रिएटर हो, और सोशल मीडिया पर एक्टिव ना हो। ऐसा कभी नहीं हो सकता। Sheru की प्रोफाइल भी आप facebook, ट्वीटर, instagram, linkedin जैसे अन्य सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं। शेरू के काम को देखते हुए कई सारे कंटेंट क्रिएटर ने इनके साथ काम किया है। अपने बिजनेस का प्रमोशन करने के लिए दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र में रहने वाले काफी सारे बिजनेसमैन का आकर्षण भी शेरू की और बढ़ गया है। शेरू समय-समय पर sheru photography पेज पर इस प्रकार के प्रमोशनल reels भी बनाते। आप भी शेरू के सोशल मीडिया हैंडल से संपर्क कर कर उनका काम देख सकते हैं। साथ ही उनसे कांटेक्ट भी कर सकते हैं।

आज कैसी स्थिति है sheru की

आज शेरू एक बड़ी कंपनी में सिनेमैटोग्राफर के पद पर काम कर रहे हैं। यहां से शेरू को एक प्रतिष्ठित सैलरी प्राप्त होती है। Sheru आज खुद से किराए पर घर लेकर आज दिल्ली में रहते है। जिन्होंने अपनी जिंदगी की शुरुआत दिल्ली की सड़कों से करी थी। Sheru की सभी बहने अपनी शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और भविष्य में भी शेरू उन को अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए मोटिवेट करते रहते हैं। अपने माता-पिता की भी शेरू सेवा करते हैं। इसके अलावा समय मिलने पर freelancing के माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर wedding shoot, reels shoot, promotional एड्स के लिए भी काम करते हैं। शेरू काम के साथ-साथ अपनी ग्रेजुएशन भी पूरी कर चुके हैं। और अब मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स कर रहे हैं।

उम्मीद करते हैं आज हमने जिस प्रकार से शेरू के अब तक के सफर की चर्चा करी है उससे आपको काफी प्रोत्साहन मिलेगा। शेरू आंजना केवल अपने परिवार के लिए एक इंस्पिरेशन है बल्कि समाज के लिए भी एक बहुत बड़ी उम्मीद की रोशनी दिखाते हैं।


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