सऊदी अरब के मदीना में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ और उनके प्रतिनिधिमंडल के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी के मामले में पाकिस्तान की फ़ैसलाबाद पुलिस ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और उनकी पार्टी पीटीआई के मुख्य नेताओं और अन्य 100 से अधिक लोगों पर ईशनिंदा का मामला दर्ज किया है.
आरोप लगाया गया है कि इमरान खान, फ़वाद चौधरी, शेख़ राशिद, शाहबाज गुल, शेख़ राशिद शफ़ीक, साहिबज़ादा जहांगीर चिको, अनिल मुसरत, नबील नुसरत, उमर इलियास, राणा अब्दुल सत्तार, बैरिस्टर अमीर इलियास, गौहर जिलानी, कासिम सूरी और करीब 100 लोगों ने मदीना की मस्जिद-ए-नबवी की पवित्रता और कुरान में कही गई बातों का उल्लंघन किया है.
एक स्थानीय निवासी नईम भट्टी नाम के शख़्स की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई है.
मुक़द्दमे में कहा गया है कि सऊदी अरब में पाकिस्तानी चरमपंथियों का एक दल भेजा गया था, पाकिस्तानियों का ये दल ब्रिटेन से इस गतिविधि में हिस्सा लेने सऊदी पहुंचा था और इसके सबूत पूछताछ के दौरान सौंपे जाएंगे.
फ़ैसलाबाद पुलिस ने पुष्टि की है कि मामला दर्ज कर लिया गया है, इसकी जांच की जाएगी और फिर यह तय किया जाएगा कि मामले को ख़ारिज करना है या नहीं.
सऊदी पुलिस ने किया पाकिस्तानी लोगों को गिरफ़्तार
इससे पहले सऊदी के शहर मदीना में पुलिस ने पुष्टि की थी कि पैगंबर की मस्जिद में गुरुवार की घटना के संबंध में पांच पाकिस्तानी नागरिकों को हिरासत में लिया गया था.
सऊदी प्रेस एजेंसी ने मदीना पुलिस के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा कि सुरक्षा अधिकारियों ने पांच पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, कानूनी कार्यवाही पूरी कर मामले को सक्षम अधिकारियों के पास भेजा जाएगा.
क्या हुआ था?
प्रधानमंत्री बनने के बाद शहबाज़ शरीफ़ अपनी कैबिनेट के मंत्रियों के साथ तीन दिवसीय दौरे पर सऊदी अरब गए थे. इस दौरान वो मदीना की मस्जिद-ए नबवी गए थे, जहां कथित तौर पर पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ (पीटीआई) के समर्थकों ने उन्हें घेरकर उनके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की.
इस वाकये से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए हैं. वीडियो में सुना जा सकता है कि उनके ख़िलाफ़ लोग ‘चोर-चोर’ के नारे लग रहे थे. वीडियो में नार्कोटिक्स मंत्री नवाब शाहज़ैन बुग्ती और मरियम नवाज़ के ख़िलाफ़ भी जमकर नारेबाज़ी की गई थी.
बड़ी संख्या में पीटीआई के नेताओं और समर्थकों ने सोशल मीडिया पर इस घटना का समर्थन किया, हालांकि अधिकांश लोगों ने इसकी निंदा की और पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर राजनीति को लेकर लोगों के बीच बढ़ते मतभेद के बारे में चिंता व्यक्त की.
पाकिस्तान में ऐसा पहले भी हुआ है
ये इस तरह की पहली घटना नहीं है. इससे पहले अप्रैल में ही एक शाम अवामी नेशनल पार्टी के समर्थक और बैंकर जियाउल्लाह शाह ने पेशावर में इसी तरह की एक घटना के चश्मदीद बने.
अपनी कार की मरम्मत करते समय उन्होंने देखा कराची में पीटीआई की रैली का सीधा प्रसारण करने के लिए चारों तरफ बड़े-बड़े पर्दे लगाए गए थे. रात तक इन पर्दों के पास अच्छी-खासी भीड़ जमा हो गई और लोग डीज़ल-डीज़ल के नारे लगाने लगे.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान इस शब्द का इस्तेमाल अपने विरोधी मौलाना फ़ज़लुर्रहमान पर निशाना साधने के लिए करते रहे हैं.
जियाउल्लाह शाह के अनुसार “कुछ देर में मौलाना फ़ज़लुर्रहमान के समर्थक भी वहां एकत्र हो गए और वो इमरान के ख़िलाफ़ ‘यहूदी एजेंट’ के नारे लगाने लगे. स्थिति को देखकर डर लगने लगा था, ऐसा लग रहा था कि किसी भी वक्त हिंसा हो सकती है.”
हालांकि देश के शीर्ष सैन्य और ख़ुफ़िया नेतृत्व ने ‘विदेशी साजिश’ से जुड़े किसी तरह के सबूत मिलने से इंकार किया था.
प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक के बाद ऐलान किया गया कि उनकी जांच में विदेशी साजिश का ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिसका ज़िक्र बार-बार इमरान ख़ान करते रहे हैं.
इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने विदेशी साज़िश का सबूत न मिलने की बात दोहराई. अमेरिका ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के बयान का स्वागत किया था लेकिन इमरान ख़ान के समर्थक बार-बार ये आरोप दोहरा रहे हैं. इमरान ख़ान ने भी बेहद आक्रामक रुख़ अख़्तियार किया है. रैलियों और सोशल मीडिया पर वो मौजूदा सरकार को निशाने पर ले रहे हैं.
जब से इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है तब से सोशल मीडिया पर ऐसी ख़बरें साझा करने की घटनाएं बढ़ रही हैं. इससे ऐसा लगता है कि राजनीति को लेकर समाज में मतभेद गहरा हो रहा है और सोशल मीडिया पर इमरान ख़ान के समर्थकों और आलोचकों के बीच भी चर्चा हो रही है.
जियाउल्लाह शाह कहते हैं कि इन दिनों पाकिस्तान में राजनीति की बात करने मुश्किल होता जा रहा है. वो कहते हैं, “व्हाट्सऐप ग्रुप पर आपके परिचित आपसे दूर हो जाते हैं, वो ग्रुप छोड़ देते हैं या गाली-गलौच करते हैं.”
इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने से पहले इमरान ख़ान ने आरोप लगाया था कि उनके विरोधियों ने उनकी सरकार गिराने के लिए उनके ख़िलाफ़ कथित विदेशी साज़िश की थी. इस दौरान वो ‘ग़लती’ से अमेरिका का नाम भी ले बैठे थे.
-एजेंसियां
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