उत्तरकाशी के डुंडा ब्लॉक के खट्टूखाल के समीप मथानाऊ तोक के जंगल में यह हादसा हुआ है। जानकारी के अनुसार बार्सु क्षेत्र के लोग गर्मी शुरू होने पर बकरियों को लेकर पहाड़ी क्षेत्रों की ओर जाते हैं। शनिवार को ग्रामीण रामभगत सिंह, प्रथम सिंह और संजीव अपनी लगभग 12 सौ भेड़-बकरियों को लेकर पहाड़ी क्षेत्रों के जंगलों में आ रहे थे।
डुंडा के खट्टूखाल के पाथ मथानाऊ तोक के पास वो पहुंचे तो अचानक से मौसम खराब हो गया। इसी दौरान तेज चमक के साथ आकाशीय बिजली गिरी। जंगल में आकाशीय बिजली गिरने से लगभग साढ़े तीन सौ बकरियां इसकी चपेट में आकर मर गई।
तहसीलदार डुंडा प्रताप सिंह चौहान के मुताबिक आकाशीय बिजली गिरने से बकरियों के मरने की सूचना मिली है। इस संबंध में उन्होंने जिला प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग को भी जानकारी दे दी गई है।
नहीं मिलता है उचित मुआवजा
भाजपा के पूर्व जिला संयोजक जगमोहन सिंह रावत कहा कि पशुपालकों के साथ ही इस तरह के हादसे अकसर होते हैं, लेकिन पशुपालकों को उचित मुआवजा नहीं मिल पाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री और पशुपालन मंत्री से पशुपालकों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। ग्रामीणों ने इस नुकसान की सूचना भटवाड़ी ब्लॉक प्रमुख विनीता रावत को भी दी। वहीं देर शाम धनौल्टी में देर शाम को जमकर ओले पड़े। ओलावृष्टि से खुमानी, आड़ू और नाशपति में फसलों को काफी नुकसान हुआ। इससे फल उत्पादक भी काफी दुखी हैं।
लाशों के ढेर में मेमने तलाश रहें अपनी मां
जंगल में जहां साढ़े तीन सौ बकरियों के शव देख कर पशुपालक दुखी हो रहे हैं। वहीं एक मार्मिक दृश्य भी नजर आ रहा है, जिस तरह से इंसानों के बच्चे अपनी माता का मोह नहीं छोड़ पाते, उसी तरह से छोटे-छोटे मेमने भी इन शवों में अपनी मां को ढूंढ रहे हैं। इन शवों के ढेर के बीच में खड़े होकर एक-एक को सूंघ कर अपनी मां की खोज करने और मिमियाते हुए उन्हें आवाज देते हुए देख कर पशुपालक की आंखे भी नम हो गई। एक तरफ इतना बड़ा नुकसान और दूसरी तरफ इन मेमनों की पुकार सुनकर वहां मौजूद लोगों का मन द्रवित हो गया।
Compiled: up18 News