ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर हिंदू सगठनों में खुशी की लहर है। अखिल भारत हिंदू महासभा (चक्रपाणि गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा कि अदालत ने हिंदू पक्षकार के दावे को मान लिया है। मुस्लिम पक्षकारों का दावा कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हम कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हैं।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है, लेकिन यह भी चिंता का विषय है कि देश के बहुसंख्यक समुदाय को देवाधिदेव महादेव की पूजा के लिए अपनी आस्था के प्रकटीकरण के लिए न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। महादेव तक को कोर्ट में जाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि देश के कई लोग इस्लामिक जिहाद तत्व, विदेशी आक्रांताओं और हिंदू द्रोहियों के साथ खड़े हैं और देश की सांस्कृतिक विरासत और जनभावनाओं का मखौल उड़ा रहे हैं। अच्छा होता वे इस मामले में आगे बढ़कर ये आस्था का स्थान हिंदुओं को दे देते।
यह जगह हिंदुओं की, जो उन्हें मिलनी चाहिए
विहिप के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा कि कोर्ट का यह निर्णय बहुत ही अच्छा है। मुस्लिम पक्ष जो यह कहता है कि यह मामला सुनवाई योग्य नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं होनी चाइए। कोर्ट ने यह निर्णय देकर उनके पक्ष को खारिज किया है, साथ ही यह भी कहा है कि इस पर प्लेस आफ वर्शिप एक्ट (Worship Act) लागू नहीं होता है क्योंकि यहां पूजा पहले से होती आ रही है। यह स्थान हिंदुओं का है और यह उसे मिलना चाहिए।
हिंदू सेना ने क्या कहा?
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं ज्ञानवापी मामल में पक्षकार विष्णु गुप्ता ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज हो गई है, जो सत्य की जीत की शुरुवात है। इस मामले का अंतिम फैसला भी हिंदुओं के पक्ष में आएगा।
हिंदू सेना सरकार से निवेदन करती है कि ज्ञानवापी मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराई जाए ताकि हिंदुओं को न्याय जल्द से जल्द मिले सके। हिंदू सेना मुस्लिम समाज से अपील करती है कि वह अपना बड़ा दिल दिखाते हुए विवादित स्थल हिंदुओं को सौंप दें। ताकि देश में भाईचारा बना रहे।
कोर्ट ने दिया ये फैसला
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को लेकर दायर मुकदमा नंबर 693/2021 (18/2022) राखी सिंह (व अन्य) बनाम उत्तर प्रदेश राज्य सरकार मामले में अदालत ने दोपहर सवा दो बजे फैसला सुना दिया।
वाराणसी के जिला जज ने अपना ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि उपरोक्त मुकदमा न्यायालय में चलने योग्य है। यह निर्धारित करते हुए प्रतिवादी संख्या चार अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के द्वारा अदालत को दिए गए 7/11 के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया गया। इसी के साथ अदालत ने अगली सुनवाई की तिथि 22 सितंबर तय कर दी है।
-एजेंसी