हरियाणा और जम्मू कश्मीर के रिजल्ट से पहले भाजपा झारखंड को लुभा लेना चाहती है। 8 अक्टूबर को क्या होगा इसका शायद उसे अंदाजा है। इसलिए उसने पंचप्रण के नाम से झारखंड में घोषणाओं की बौछार कर दी। मजेदार बात यह है कि यह ऐसी घोषणाएं है जो वह पहले दूसरे राज्यों में भी कर चुकी है। मगर जीतने के बाद भूल भी गई।
नाम रखने में तो वह माहिर है। सूरदास का नाम नयनसुख रख सकती है। तो लक्ष्मी जौहार के नाम से पांच में एक योजना 500 रुपए में गैस सिलेंडर है। राजस्थान में यह वादा था। मगर किसी महिला को नहीं मिला। इसी योजना जिसे बहुत बड़ा नाम प्रण कहा गया है मैं दो सिलेंडर मुफ्त देने का भी वादा है। अभी अमितशाह ने तो कश्मीर में ईद और मोहर्रम पर एक एक सिलेंडर मुफ्त देने की घोषणा की थी। वहां तो अभी रिजल्ट आना है। मगर देखा जाए तो इसका रिजल्ट से क्या ताल्लुक? गैस सिलेंडर तो केन्द्र सरकार के क्षेत्राधिकार में है। अमित शाह को देना चाहिए। लेकिन आज तक किस राज्य में बीजेपी की सरकार मुफ्त सिलेंडर दे रही है और कहां 500 रुपए में?
हरियाणा जम्मू कश्मीर का नतीजा आने दीजिए लोग अब यह सवाल पूछेंगे। लोगों में से डर खत्म हो रहा है। दूसरी मजेदार घोषणा है सुनिश्चित रोजगार! यह वादा करने से पहले वे भूल गए कि हरियाणा और जम्मू कश्मीर में जैसा एक्जिट पोल कह रहे हैं वैसा ही रिज्ल्ट आया तो इसका सबसे बड़ा कारण रोजगार ही होगा। दोनों जगह दस साल से इनकी सरकार थी। मगर एक नौकरी नहीं दी। न केन्द्र में न राज्य में। और जो नौकरियां थीं सेना में उसे भी खत्म करके अग्निवीर की बिना पेंशन और सिर्फ पांच साल की बना दी। बाकी सुरक्षा बलों में भी भर्ती बंद है। हरियाणा के साथ जम्मू का युवा भी सेना और सुरक्षा बलों में सबसे ज्यादा जाता था मगर अब उसका वह रास्ता भी बंद कर दिया।
लेकिन यहां झारखंड में वे नौकरियों की घोषणा नहीं बल्कि प्रण कर रहे हैं। यह बड़े बड़े शब्द भोले सरल लोगों को कितनी पीड़ा पहुंचाते हैं इसका बीजेपी को अंदाजा नहीं है।
हम टिहरी उत्तराखंड का वह दिन कभी नहीं भूल सकते जब टिहरी डेम में पानी छोड़ा जा रहा था और टिहरी नगर डूब रहा था। तब औरतें रो रोकर कह रही थीं कि भाजपा के नेताओं ने हमारे हाथ में गंगाजल देकर यह संकल्प करवाया था कि टिहरी नहीं छोड़ेंगे। अब क्या होगा हमारे संकल्प का? पुलिस हमें यहां से ले जा रही है। केन्द्र में वाजपेयी की सरकार थी। टिहरी डेम केन्द्र सरकार का ही प्रोजेक्ट था। हमने दिल्ली वापस लौटकर भाजपा के नेताओं से पूछा कि बाकी सब ठीक है। मगर महिलाओं से ऐसा संकल्प क्यों करवाते हैं जिसे पूरा न कर सकें। और वे जीवन भर अपराध बोध से ग्रस्त रहें। कोई जवाब नहीं था। बस फर्क इतना था कि उल्टे हमसे कोई सवाल नहीं पूछने लगा था। आज तो आप किसी से यह कह दो वह उल्टा आप पर ही आरोप लगाने लगता है।
मगर खैर लोकसभा में साधारण बहुमत भी न मिलने और अब हरियाणा जम्मू कश्मीर में हार की आहट से भाजपा के लोगों और उसकी गोदी मीडिया की उग्रता में कमी आई है और जनता के बीच डर का माहौल कम हुआ है।
चुनाव नतीजों का अगर ऐसा ही ट्रेंड चलता रहा तो जल्दी आप देखेंगे कि जैसे वादे झारखंड में भाजपा ने किए हैं उन पर फिर जनता ही सीधे सवाल पूछने लगेगी कि भाईसाहब क्या आपने बिल्कुल ही बेवकूफ समझ लिया है? जैसे एक और प्रण है गोगो दीदी योजना। गोगो संथाली में मां को कहा जाता है। इसके फार्म भरवाना भी भाजपा ने शुरू कर दिए। इसमें महिलाओं को 2100 रुपए महीना देने का प्रण है। जबकि हेमंत सोरेन सरकार पहले से मंईयां सम्मान योजना के तहत महिलाओं को एक हजार रुपए महीना दे रही है। केवल नाम बदल कर और राशि बढ़ाकर नई योजना बताई जा रही है।
झारखंड मुक्ति मोर्चे (जेएमएम) के नेता इस पंचप्रण को प्रपंच कह रहे हैं। उनके नेता सुप्रिय भट्टाचार्य ने कहा कि महिला सशक्तिकरण बात कर रहे हैं। संसद विधानसभाओं में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण का प्रस्ताव पास कर दिया। मगर अभी हमारे यहां चुनाव है लागू कर दो। मगर नहीं वह जब जनगणना होगी जिसका कोई पता नहीं है उसके बाद सोचेंगे।
जेएमएम बीजेपी के महिला पिच पर आने से बहुत खुश है। यहां वह खुद को बहुत मजबूत समझ रही है। और उसका कारण है कल्पना सोरेन।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का जेल जाना जेएमएम के लिए एक बड़ा मुश्किल समय था। चंपई सोरेन पर विश्वास करके जेएमएम ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया मगर उन्होंने ऐसा विश्वासघात किया कि झारखंड में ही नहीं देश में भी किसी को विश्वास नहीं हुआ। लेकिन इस बुरे समय ने ही जेएमएम को एक ऐसा सितारा दे दिया जिसका खुद उसे अंदाजा नहीं था।
एक सामान्य घरेलू महिला कल्पना सोरेन का कायाकल्प हो गया। हालांकि भारतीय नारियों की यह पुरानी परंपरा है कि पति पर संकट आने पर वे अचानक रणचंडी बन जाती हैं। कुछ ऐसा ही कल्पना सोरेन के साथ हुआ। वे विधानसभा का उप चुनाव लड़ीं और विधायक बन गईं। हेमंत सोरेन जब जेल में थे तो वे इंडिया गठबंधन की बैठकों में शामिल हुईं। सोनिया गांधी ने खुद आगे बढ़कर उनका हाथ पकड़कर अपनी बगल में बिठाया। बहुत कम समय में वे नेशनल मीडिया में छा गईं।
और अब जेएमएम उनका सर्वोत्तम उपयोग कर रहा है। उसने पूरे झारखंड में मंईयां सम्मान यात्रा शुरू कर दी। महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए। इसमें जेएमएम की दूसरी महिला नेता तो जा ही रहीं हैं। मगर सबसे ज्यादा क्रेज कल्पना सोरेन का है। भाजपा समझ गई है कि इस बार उसे एक नई नेता जो बहुत तेजी से लोकप्रिय हुई हैं खासतौर से महिलाओं में उनका मुकाबला करना पड़ेगा। इसलिए मोदी जी चुनाव की घोषणा से पहले ही दो दौरे कर चुके हैं। जमशेदपुर और हजारीबाग। मगर हजारीबाग जो बीजेपी का गढ़ माना जाता है वहां भी भीड़ नहीं थी।
दूसरी तरफ कल्पना सोरेन की यात्रा में लोग खासतौर से महिलाएं भारी संख्या में शामिल हो रही हैं। जिन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में महिलाएं 5- 6 बजे शाम के बाद घर से नहीं निकलतीं वहां रात साढ़े आठ बजे कल्पना सोरेन निकलती हैं तो महिलाएं सड़क पर खड़ी मिलती हैं। और मजेदार बात यह है कि केवल जेएमएम के झंडे के साथ नहीं कांग्रेस के झंडे वाली महिलाएं भी वहां होती हैं। यह वह इलाका है सारंडा जंगल के पार का जहां बाजार भी शाम को सूरज ढलने से पहले ही बंद हो जाते हैं।
परिस्थितियों वश एक महिला नेता का उदय हो जाना जेएमएम के लिए वरदान बन गया। अभी जिन दो राज्यों जम्मू कश्मीर, हरियाणा में चुनाव हो चुके और जिन दो राज्यों में महाराष्ट्र, झारखंड में होना हैं वहां केवल झारखंड ही ऐसा है जहां इंडिया गठबंधन को अपनी सरकार बचाना है। बाकी तीन राज्यों में उसे भाजपा एनडीए से छीनना है।
इसलिए सरकार बचाने की लड़ाई बाकी तीन राज्यों के मुकाबले मुश्किल है। मगर कल्पना सोरेन का जो एक नया फैक्टर आया है उसका तोड़ ढूंढना भाजपा के लिए आसान नहीं है। महिला नेता उसके पास झारखंड में तो क्या अब देश में भी नहीं है।
– साभार- देशबन्धु
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