आगरा। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा है कि जलसंचय आज की सबसे अहम जरूरत है,छोटे बांध, तालाब आदि बनाकर न केवल पानी को बचाए रख सकते हैं अपितु पर्यावरण स्थितियों को भी भरपूर जलवृष्टि के अनुरूप ला सकते हैं। वह तरुण भारत संघ’ के तत्वावधान में करौली जनपद के हिंडौन कस्बे में स्थित महावीर जी मंदिर परिसर में आयोजित’ “पीपल्स पीस अँड वॉटर सम्मिट” जो जियो और जीने दो’ पर आधारित दो दिन (20 और 21 मार्च,2024) के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा कि जल संरक्षण का कार्य अगर सही प्रकार से किया जाये तो क्षेत्र की नदिया पुनर्जीवित हो जाती है तथा भूगर्भ जल स्तर में भी सुधार होता है।
श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि तरुण भारत संघ और क्षेत्र के किसान नदी के पानी को रोकते नहीं ,बल्कि नदी को पुनर्जीवित करने में विश्वास रखते हैं। हां सरकारी बांधों को लेकर स्थिति थोड़ा फर्क है,उनका प्रबंधन करने वाले डाउन स्ट्रीम को भी अनवरत जलधारा प्रवाह सुनिश्चित करने को ज्यादा तवज्जो नहीं रखते।
श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि आगरा की नदियों में जल प्रवाह पुनः:सुचारू करने को जो भी कर सकेंगे जरूर करेंगे।खारी नदी में जल प्रवाह सुचारू हो सके इसके लिये एक कांफ्रेंस करने का भी प्रस्ताव सम्मेलन में आया,जिसे कि विचारणीय माना गया।
श्री राजेन्द्र सिंह ने पूर्व दस्युओं के जल संरक्षण के कार्य में दिये जा रहे योगदान का उल्लेख करते हुए कहा खेड़ा गौशाला से निकलने वाली सेरनी नदी (जो कि करौली जनपद की पहाड़ियों से निकलती है और गंभीर नदी की सहायक है,)को पुनर्जीवित करने के प्रयास में रहे योगदान का उल्लेख किया और बताया कि साथ ही अपने अन्य साथियों को भी जागरूक कर रहे हैं।
आगरा की नदियों का उल्लेख
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने सम्मेलन आए हुए डेलीगेट्स (देश और विदेश) से कहा है कि खारी नदी को पुनर्जीवित किया जाना मौजूदा दौर की सबसे अहम जरूरत है,फतेहपुर सीकरी सहित आगरा -भरतपुर क्षेत्र के कई सीमांत गांवों में पानी की कमी एक विकराल समस्या के रूप में आ खडी हुई है ।
श्री शर्मा ने कहा कि करौली की पहाड़ियों से बहने वाली नदियों का पानी जितना महत्वपूर्ण राजस्थान के लिये है,उतना ही आगरा के लिये भी। उन्होंने कहा कि आगरा की खारी नदी वर्तमान में पूरी तरह जल शून्य स्थिति में है।जनपद के हित के लिये जरूरी है कि इसे पुन:जलयुक्त किया जाये। उन्होंने उटंगन नदी की जल शून्य स्थिति को भी उठाया । उन्होंने कहा कि राजेन्द्र सिंह एक सक्रिय और लगनशील नेतृत्वकर्ता है,हमेशा उन जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के सक्रिय जनों के लिये प्रेरक रहे। हम आशा करते हैं जल पुरुष खारी नदी को पुनर्जीवित करने में अपने अनुरूप समर्थन करेंगे।
श्री शर्मा ने फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर के माध्यम से जल शक्ति मंत्रालय को भेजे गये पत्र की प्रति भी श्री सिंह को दी। जिसमें खारी नदी और उटंगन नदी को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने को केन्द्र सरकार से मांग की गयी है।
31 पूर्व दस्यु सम्मानित
सम्मेलन के आरंभिक दौर में तरुण भारत संघ ने अपने समय के कुख्यात रहे दस्युओं को उनके नये अवतार के लिये सम्मानित किया है। इन पूर्व बागियों ने धौलपुर और करौली जनपदों में जल संरक्षण के लिये भरपूर कार्य किया है। जिससे कि इन क्षेत्रों में न केवल खेती की दशा और दिशा बदली है,साथ ही पूर्व बागी स्वयं भी मेहनतकश किसान का जीवन जीने में कामयाब रहे हैं।
तरुण भारत संघ ने लोगों में जब से पानी के प्रति जागरूकता उत्पन्न की है तब से छेत्र के ग्रामीणों की जीवन चर्या बदल चुकी है।नदी जल संरक्षण से जागरूक लोग अब राम के सामन ही श्रद्धा से जल का स्मरण भी करते हैं।लोगों में धारणा है कि पहले पवित्र जल के प्रति संकल्प व्यक्त करो, नाम फिर राम का। कई ग्रामीणों ने तो नदी पुनर्जीवन को प्रेरित करने के लिए गाने भी बना रखे हैं,जो कि लोक गीत की तर्ज पर पूरे डांग और विद्य पहाणी समूहों के गांवों प्रचलित हैं।
अक्सर अल्प वर्षा के कारण सूखे से प्रभावित रहने वाले गांवों में भूजल स्तर तेजी के साथ सुधरा है. क्षेत्र में सुखकर स्थितियां बनाए रखने के लिये इन 31 पूर्व दस्यूओं ने अपनी जीवन शैली में जल संरक्षण और नदियों के पुनर्जीवन प्रयासों को शामिल कर लिया है।ग्रामीण खास कर पूर्व दस्यु जलपुरुष के नाम से विख्यात राजेन्द्र सिंह से बेहद प्रभावित हैं और अपने जीवन में आये बदलाव में उन्हें प्रेरक और दिशा देने वाला मानते हैं।असली बदलाव तो तब शुरू हुआ जब कि बागियों के परिवार के बच्चे शिक्षा लेने स्कूल पहुंचना शुरू हो गये।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की ओर से सम्मेलन में आगरा की खारी नदी की समस्या उठाये जाने के लिये राजेन्द्र सिह का आभार जताया गया।आगरा में जिलाधिकारी रहे उप्र के पूर्व मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा कि आगरा की जल समस्या में सुधार के लिये वह जो भी संभव होगा करवायेंगे। उन्होंने उटंगन और खारी नदियों को बदहाली से उबार कर जलयुक्त करना सामायिक जरूरत बताया।
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