नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से गो फर्स्ट को बड़ी राहत मिली है। एनसीएलटी ने गुरुवार को कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया के तहत वाडिया के स्वामित्व वाली गो फर्स्ट एयरलाइन के लिए रोक को 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया है। एनसीएलटी ने निर्देश दिया कि समाधान योजना को निर्धारित समय अवधि के भीतर पूरा किया जाए, जो 4 फरवरी 2024 को समाप्त होगी।
90 दिन में नहीं हुआ ऐसा तो क्या होगा
इस 90-दिन की अवधि में समाधान प्रक्रिया को पूरा करने में विफलता के कारण एनसीएलटी कंपनी के परिसमापन या लिक्विडेशन का आदेश दे देगा। यह फैसला बंद पड़ी एयरलाइन के लिए एक जीत है, क्योंकि मामले में विमान पट्टे पर देने वाली कंपनी की दलीलें खारिज कर दी गईं। गो फर्स्ट के रेजोल्यूशन प्रोफेशनल ने ट्रिब्यूनल को सूचित किया कि एयरलाइन के लिए एक संभावित बोलीदाता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) अब कैरियर के लिए अगले कदम पर पुनर्विचार कर रही है।
जिंदल पावर ने खींचे हाथ
उधर, जिंदल पावर लिमिटेड ने गो फर्स्ट के अधिग्रहण के लिए बोली नहीं लगाने का फैसला किया है। यह एकमात्र कंपनी थी जिसके अभिरुचि पत्र या ईओआई को लेनदारों ने स्वीकार किया था। अधिग्रहण के लिए बोली लगाने की समय सीमा बीते मंगलवार को खत्म हो गई है।
बैंकरों की उम्मीद जिंदल पर टिकी थी
बैंकरों की उम्मीद जिंदल की दिलचस्पी पर टिकी थी। न्यूज़ एजेंसी रायटर को यह जानकारी एक लेनदार ने दी थी, जिसने गो फर्स्ट को कर्ज दिया है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और डॉयचे बैंक आदि विमानन कंपनी के अग्रणी लेनदार हैं। एक बैंकर ने कहा, लेनदारों की समिति आगे के कदमों पर फैसला लेने के लले बुधवार को बैठक करेगी।
दोनों बैंकरों ने कहा कि अब विमानन कंपनी का परिसमापन ही सबसे ज्यादा संभावित विकल्प है क्योंकि कोी गंभीर बोलीदाता नहीं है। परिसमापन की स्थिति में लेनदारों के पास कोलेटरल के तौर पर रखी गई विमानन कंपनी की परिसंपत्तियों का आकलन बैंकर कर रहे हैं।
Compiled: up18 News