आज World Glaucoma Day 2024 है, इस दिन को मनाए जाने से पहले जानते हैं कि क्या है ग्लूकोमा और इसके प्रभाव। ग्लूकोमा आंखों से जुड़ी एक बीमारी है जिसमें आंख की रोशनी तक चली जाती है।
ग्लूकोमा आंखों से जुड़ी एक बेहद गंभीर बीमारी है जिसकी वजह से आंख की रोशनी तक चली जाती है। इस बीमारी को आम भाषा में काला मोतियाबिंद भी कहा जाता है। इस बीमारी में आंखों की वो नर्व डैमेज हो जाती है जो कि ब्रेन तक इसे कनेक्ट करती है और इसी के जरिए ब्रेन काम करते हुए बता पाता है कि हमारी आंखें क्या देख रही हैं। हालांकि, ग्लूकोमा के कई प्रकार हैं और कारण भी।
ग्लूकोमा क्या है और क्यों होता है
ग्लूकोमा आंख के भीतर यानी कि पुतलियों में दबाव के कारण होता है जो ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाता है। इसे ऐसे समझें कि हमारे आंख के अगले भाग में एक साफ पानी या कहें कि तरल पदार्थ होता है। यह पानी आंख को पोषण देता है और उसे आकार देता है। आंख लगातार इस तरल पदार्थ का उत्पादन करती है और इसे जल निकासी प्रणाली (drainage system) के माध्यम से बाहर निकाल देती है।
अब अगर किसी व्यक्ति को ग्लूकोमा है, तो आंख से तरल पदार्थ बहुत धीरे-धीरे निकलता है। जब ऐसा होता है, तो तरल पदार्थ जमा हो जाता है और आंख के अंदर दबाव बढ़ जाता है। लंबे समय तक जब ये दबाव बना रहता है और ये मैनेज नहीं हो पाता तो, ये ऑप्टिक तंत्रिका और आंख के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे आंखों की रोशनी जा सकती है या कहें कि दृष्टि हानि हो सकती है।
ग्लूकोमा का कारण
-60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में
-डायबिटीज के रोगियों में
-ग्लूकोमा का पारिवारिक इतिहास
-आंख में चोट की वजह से
-पिछली आंख की सर्जरी
-मायोपिया की वजह से
-हाई बीपी की वजह से
-कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा लेना
ग्लूकोमा के लक्षण
-आंखों का लगातार लाल रहना
-आंखों में तेज दर्द
-जी मिचलाना
-रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले जैसा कुछ दिखना
-जी मिचलाना और उल्टी
-अचानक से एक दिन सब धुंधला नजर आना।
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो बिलकुल भी नजरअंदाज न करें और डॉक्टर को दिखाएं। सबता दें कि समय रहते बीमारी की पहचान हो जाए तभी इसका सफल इलाज हो सकता है नहीं तो, सर्जरी आदि की जरूरत पड़ सकती है। इसके बाद भी हल्की सी लापरवाही से आपकी आंखों की रोशनी जा सकती है।
– एजेंसी
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