लंबे समय बाद ऐसा बजट है जिसे न तो चुनावी बजट कह सकते हैं न लोक लुभावन , उसके बावजूद भी आम आदमी से लेकर अर्थशास्त्री तक , रेढ़ी वालों से लेकर लघु मध्यम उद्योग, हेवी उद्योग से कैपिटल मार्केट तक खुश है .
नौकरी पेशा एवं छोटे मंझोले व्यापारी भी खुश है उनकी अपेक्षा से अधिक आयकर में राहत मिली है अधिक से अधिक 10 लाख तक कर मुक्त की उम्मीद थी वह 12 लाख तक कर मुक्त हो गए 12 लाख से 25 लाख तक आय वाले लोगों की जेब में 80 हज़ार से लेकर 1ण्10 लाख तक अतिरिक्त आयेंगे, खर्च में वृद्धि होगी जिससे जीडीपी को गति मिलेगी , वह अपने कार लोन की ईएमआई भर सकता है घर के लोन की ईएमआई भर सकता है .
सरकार ने रोज़गारों पर इस बजट में बड़ी गंभीरता और प्रतिबद्धता दिखायी है जूता जैसे उद्योग जो समाज के शोषित वर्ग के लिए रोज़गार और विदेश मुद्रा अर्जन के लिए अपार संभावनाये रखता बजट का विशेष फ़ोकस रहा.
पर्यटन पर बड़ा खर्च , 50 नए पर्यटन स्थल , हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को इंफ़्रा का दर्जा, अर्बन डेवलप मेंट , ग्राम विकास , पर्यावरण सुधार , रिन्यूएबल एनर्जी , एआई केंद्रों , कैंसर जैसे इलाज जो आम आदमी की पहुँच से बहुत दूर होते थे कैंसर डिटेक्ट होते ही मौत का फरमान मिल जाता था ३ साल के अंदर हर सरकारी अस्पताल में मोहैया कराना आम आदमी के लिए बड़े संवेदन शील कदम है.
सरकार चुनौतियों के बावजूद 2024-25 के आर्थिक सर्वे उत्साह जनक न होते हुए भी बड़े निर्णय ले रही है , सरकार अच्छी तरह जानती है जीडीपी की वर्तमान दर 6.3 प्रतिशत या 6.8 प्रतिशत से हम विकसित भारत के लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते , जीडीपी वृद्धि दर कम से कम 8 प्रतिशत और फिर डबल डिजिट पर ले ही जानी होगी .
उसके लिए फूंक फूंक कर कदम महँगाई की दर सीमित रहे आर्थिक घाटा सीमित रहे लेकिन अर्थव्यवस्था गति पकड़े के लिए दो उपाय , एक आम आदमी की क्रय शक्ति को बड़ाना, कर के अतिरिक्त स्रोत विकसित करना, वह एसेट मॉनेटाइजेशन हो , विनिवेश हो या , पीपीपी सारे प्रायस इस बजट में किए गए हैं.
अब देखना है जनता इन सबका कितना लाभ लेती है और धरातल पर कितना क्रियान्वयन होता है देश का हर व्यक्ति अपने लिए या फिर सोच बदल कर किस तरह देश की लिए खड़ा होता है .
-Up18 News