युद्ध से युद्धविराम तक: भारत-पाक रिश्तों की बदलती तस्वीर

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प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार

10 मई 2025 को, भारत और पाकिस्तान ने एक पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति व्यक्त की, जो हाल के वर्षों में सबसे गंभीर संघर्ष के बाद हुआ। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सैन्य तनाव बढ़ा था। अमेरिकी राष्ट्रपति की मध्यस्थता में हुई वार्ता के बाद, दोनों देशों ने इस संघर्ष को समाप्त करने का निर्णय लिया। हालांकि, सीमा पर स्थायी शांति अभी भी एक बड़ी चुनौती है। सच्ची शांति तब तक संभव नहीं है जब तक कि दोनों देश आपसी विश्वास, संवाद और सहयोग को प्राथमिकता न दें। युद्धविराम केवल एक कदम है, पर स्थायी शांति की दिशा में कई और कदम बढ़ाने की जरूरत है।

भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं। दोनों देशों के बीच की सीमाएं न केवल भौगोलिक हैं, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक विभाजन भी हैं, जो 1947 में विभाजन के समय से आज तक खिंची हुई हैं। इस तनाव का सबसे बड़ा कारण जम्मू-कश्मीर का मुद्दा रहा है, जो आज भी विवाद का मुख्य बिंदु है।

1947-48: पहला युद्ध और पहला युद्धविराम

भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध 1947-48 में हुआ, जिसे कश्मीर युद्ध के नाम से जाना जाता है। यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान समर्थित कबायली लड़ाकों ने कश्मीर पर हमला किया। भारतीय सेना ने महाराजा हरि सिंह की सहायता के लिए कश्मीर में प्रवेश किया, जिसके बाद संघर्ष बढ़ता गया। इस युद्ध का अंत 1 जनवरी 1949 को संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद हुआ, जिसने युद्धविराम की घोषणा की और दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) स्थापित की। यह युद्धविराम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 के तहत हुआ था, जिसमें कश्मीर में जनमत संग्रह की बात कही गई थी, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया।

1965 का युद्ध और ताशकंद समझौता

1965 में, कश्मीर मुद्दे पर फिर से संघर्ष भड़क उठा। इस बार पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर में घुसपैठ की। भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया और युद्ध पंजाब, राजस्थान और कश्मीर में फैल गया। इस युद्ध का अंत 23 सितंबर 1965 को हुआ, जब संयुक्त राष्ट्र और सोवियत संघ के मध्यस्थता के बाद ताशकंद समझौता हुआ। इस समझौते पर 10 जनवरी 1966 को भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए।

1971 का युद्ध और शिमला समझौता

1971 का युद्ध मुख्य रूप से बांग्लादेश की स्वतंत्रता के मुद्दे पर हुआ था। पाकिस्तान में पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों के बीच तनाव बढ़ता गया और पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में स्वतंत्रता की मांग ने युद्ध का रूप ले लिया। भारत ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया और 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान को निर्णायक हार का सामना करना पड़ा। इस युद्ध के बाद 2 जुलाई 1972 को शिमला समझौता हुआ, जिसमें दोनों देशों ने सभी विवाद शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का वादा किया और नियंत्रण रेखा (LoC) की स्थापना की गई।

1999 का कारगिल युद्ध

कारगिल युद्ध 1999 में हुआ, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल-ड्रास सेक्टर में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। इस संघर्ष में दोनों देशों के बीच भीषण लड़ाई हुई और कई सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। यह युद्धविराम 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ, जब भारत ने अपने क्षेत्र को पुनः प्राप्त कर लिया।

2003 का स्थायी युद्धविराम

नवंबर 2003 में, दोनों देशों ने नियंत्रण रेखा पर स्थायी युद्धविराम की घोषणा की, जो एक महत्वपूर्ण कदम था। इस पहल ने सीमा पर हिंसा में कमी लाई और कश्मीर में सामान्य जनजीवन को स्थिर किया। हालांकि, इस युद्धविराम का पालन समय-समय पर उल्लंघन का शिकार होता रहा है।

हालिया प्रयास और चुनौतियाँ

2021 में, भारत और पाकिस्तान ने फिर से युद्धविराम का पालन करने की सहमति जताई, जिसे 2003 के समझौते का नवीनीकरण कहा जा सकता है। यह निर्णय दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हुई एक गुप्त वार्ता का नतीजा था।

हालांकि, सीमा पर होने वाली घटनाएं और कश्मीर में बढ़ता तनाव इन प्रयासों को कमजोर करते हैं। दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी और आतंकवाद के मुद्दे पर मतभेद इन समझौतों को पूरी तरह से सफल नहीं होने देते।

2025: नवीनतम युद्धविराम और वर्तमान स्थिति

10 मई 2025 को, भारत और पाकिस्तान ने एक पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति व्यक्त की, जो हाल के वर्षों में सबसे गंभीर संघर्ष के बाद हुआ। यह संघर्ष 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले के बाद शुरू हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई तेज हो गई, जिसमें मिसाइल और ड्रोन हमले शामिल थे।

संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में हुई वार्ता के बाद, दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते की घोषणा करते हुए दोनों देशों की सराहना की।

हालांकि, इस युद्धविराम के बावजूद, भारत और पाकिस्तान के बीच कई मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं, जैसे कि सिंधु जल संधि का निलंबन और सीमा पर तनाव। दोनों देशों ने आगे की वार्ता के लिए सहमति जताई है, लेकिन विश्वास की कमी और पिछले अनुभवों के कारण स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है।

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की यह यात्रा संघर्ष, रक्तपात और राजनैतिक बदलावों से भरी रही है। आज, इन दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच स्थायी शांति स्थापित करना न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। एक स्थायी समाधान के बिना, युद्धविराम केवल एक अस्थायी राहत बना रहेगा। सच्ची शांति तब तक संभव नहीं है जब तक कि दोनों देश आपसी विश्वास, संवाद और सहयोग को प्राथमिकता न दें। युद्धविराम केवल एक कदम है, पर स्थायी शांति की दिशा में कई और कदम बढ़ाने की जरूरत है।

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