आगरा। आगरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ला की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खबरों के अनुसार, कॉलेज की अलमारियों की चाबियों और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को लौटाए बिना अपने साथ ले जाने के आरोपों पर न्यायालय ने लोहामंडी थाना पुलिस को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि प्राचार्य का पद सार्वजनिक विश्वास का पद है और पदमुक्त होने के बाद सरकारी अभिलेखों को निजी कब्जे में रखना सीधा-सीधा नियमों का उल्लंघन है।
इससे पहले भी सीजेएम कोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों से प्राचार्य पद पर नियुक्ति कराने का मुकदमा पहले से दर्ज है। आगरा कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सी.के. गौतम ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देते हुए कहा था कि पूर्व प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ला ने वर्ष 2021 में आगरा कॉलेज आगरा में प्राचार्य पद पर कार्यभार ग्रहण किया था। पूर्व प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ला का कूटरचित दस्तावेज के आधार पर चयन पाए जाने पर उनका चयन शून्य घोषित कर दिया गया था। डॉ. अनुराग शुक्ला के बाद प्रबंध समिति के निर्देश पर डॉ. आर.के. श्रीवास्तव को कार्यवाहक प्राचार्य बनाया गया। उन्हें भी डॉ. शुक्ला ने चार्ज नहीं दिया।
उन्होंने पत्र लिखकर चार्ज देने के साथ ही अलमारी की चाबियां और सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज देने के लिए कहा लेकिन यह फिर भी नहीं दिए गए। डॉ. श्रीवास्तव के बाद शिक्षा सेवा आयोग द्वारा प्रो. सी.के. गौतम को विधिवत रूप से प्राचार्य बना दिया गया। डॉ. आर.के. श्रीवास्तव ने उन्हें लिखित सूचना दी कि उनके पूर्ववर्ती पदमुक्त प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ला द्वारा आगरा कॉलेज के प्राचार्य कार्यालय एवं प्राचार्य कैंप कार्यालय की अनेक अलमारियों की चाबियां उन्हें नहीं दी गईं। न ही महत्वपूर्ण दस्तावेज दिए गए। यह सभी डॉ. अनुराग शुक्ला की अवैध अभिरक्षा में हैं। इस वजह से कई प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
प्राचार्य प्रो. सी.के. गौतम द्वारा 26 जून, 2025 को मामले में एक कमेटी का गठन किया गया। जांच में पाया गया कि डॉ. अनुराग शुक्ला अपने साथ कॉलेज प्रबंध समिति की बैठकों की मिनिट्स की कॉपी, फाइनेंसियल डॉक्यूमेंट्स, स्टॉक रजिस्टर, तीन सौ अलमारियों की चाबियां, छह टीचर्स- प्रिंसिपल प्रो. सीके गौतम, डॉ. भोपाल सिंह, प्रो. पीबी झा, डॉ. एसके पांडे और डॉ. संजय यादव की सर्विस बुक भी साथ ले गये। प्रिंसिपल प्रो. गौतम ने कोर्ट में कहा कि यह कॉलेज में होने चाहिए थे, जो कि नहीं हैं।
प्राचार्य प्रो. सी.के. गौतम ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा कि डॉ. अनुराग शुक्ला ने न तो हैंडओवर दस्तावेज दिए, न संपत्ति रजिस्टर, न स्टॉक रजिस्टर और न ही आवश्यक फाइलों का विवरण प्रस्तुत किया। अलमारियों की चाबियों का हस्तांतरण भी नहीं किया गया। प्रिंसिपल के प्रार्थना पत्र में कहा गया कि डॉ. अनुराग शुक्ला के समय में बने टायलेट ब्लॉक में 18 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। एक कमेटी ने इसकी जांच की थी। इस निर्माण से संबंधित सारे वित्तीय कागजात भी गायब हैं।
प्रबंध समति के निर्देश पर प्रो. सीके गौतम ने इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पहले लोहामंडी थाने में भी तहरीर दी, लेकिन रिपोर्ट न लिखे जाने पर कोर्ट की शरण ली गई। आगरा कॉलेज के विधिक सलाहकार डॉ. अरुण कुमार दीक्षित ने न्यायालय में दलील प्रस्तुत की कि कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और चाबियां नहीं होने की वजह से कॉलेज में काम रुके पड़े हैं। डॉ. अनुराग शुक्ला द्वारा ये दस्तावेज न लौटाना कानूनन अपराध है।
दलीलों को सुनने के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंकज कुमार ने लोहामंडी पुलिस को पूर्व प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए।

